किसान आंदोलन का आज 56वां दिन, 'आज नहीं बनी बात तो 26 जनवरी को आएगी सुनामी'
आज ही किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच दसवें दौर की बातचीत होनी है.
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देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) का आज 56वां दिन है। आज ही किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच दसवें दौर की बातचीत होनी है. पहले यह बैठक मंगलवार (19 जनवरी) को होनी थी लेकिन केंद्रीय कृषि सचिव ने इसे अपरिहार्य कारणों से स्थगित करते हुए किसान नेताओं को बुधवार (20 जनवरी) को बैठक के लिए आमंत्रित किया था.
किसान गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े हैं. सुप्रीम कोर्ट में आज इस पर भी सुनवाई होनी है. पंजाब के किसान नेता कृपा सिंह ने बताया कि सरकार के साथ आज होने वाली वार्ता में भी किसानों की वही मांगें होंगी जो पिछली बैठकों में रही हैं। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग प्रमुख है और किसान के प्रतिनिधि पहले इस पर ही चर्चा करना चाहेंगे। वहीं आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि वे तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के समर्थन के तहत आज गुरुग्राम में ट्रैक्टर रैली का पूर्वाभ्यास करेंगे।
पंजाब के ही किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा, “पिछली वार्ता में भी सरकार से एमएसपी पर चर्चा करने का आग्रह किया गया था और इस बैठक में भी हम इस पर चर्चा की उम्मीद करते हैं.”
सरकार और किसानों के बीच की अभी तक की वार्ता विफल ही रही है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने दो दिन पहले ही कहा था कि किसान केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ 'मई 2024 तक' प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन 'वैचारिक क्रांति' है। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी चाहते हैं। हम सुप्रीम कोर्ट नहीं गये थे, इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी के सामने भी पेश नहीं होंगे। जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं होगी, सरकार को हमारी बात माननी ही पड़ेगी।
आपको बता दें कि किसानों ने सरकार को रिपब्लिक डे पर ट्रैक्टर रैली को लेकर खुली चुनौती दी है कि 26 जनवरी को किसान अपने ट्रैक्टरों पर तिरंगा बांध कर और चिपकाकर गणतंत्र दिवस में शामिल होंगे और अनुमति मिलने पर राष्ट्रीय राजधानी की ओर रवाना होंगे। इसके अलावा आपको बता दें कि किसानों के आंदोलन और नये कृषि कानूनों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और नये कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों का समाधान करने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है। ये कमेटी किसानों के साथ 21 जनवरी को पहली बैठक करेगी, जो सुबह 11 बजे शुरू होगी। जो किसान बैठक में नहीं आ सकते हैं उनका मत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लिया जाएगा।
बहरहाल दोपहर दो बजे होने वाली बैठक से किसी को खास उम्मीदें नहीं है। क्योंकि पिछली 9 दौर की बैठकें बेनतीजा निकली है। किसान लगातार कानून रद्द करने की बात कर रहे हैं तो सरकार हर बैठक में किसानों (Farmers Protest) से कानूनों पर मसौदा मांग रही है। यहां तक कि कृषि मंत्री तो ये तक कह दिया कि किसान ऐसे कुछ लोगों को बातचीत के लिए भेजे जो ठीक तरीके से कानूनों पर बात कर सकें। उन्होंने ये भी कहा कि किसान सरकार को बताएं कि उनकी अपेक्षाएं क्या हैं। यानी सरकार सिर्फ और सिर्फ संशोधनों पर ही बात करेगी।