Breaking : पेगासस मामले में SC का बड़ा ऐलान, कहा- पहली नजर में बनता है केस, जांच के लिए एक्सपर्ट कमिटी का गठन हो
वैधानिक कानून के बिना इस तरह के आक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण, जज जस्टिस सूर्य कांत और जज जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 13 सितंबर को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं? बुधवार को चीफ जस्टिस ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा ‘निजता के हर आक्रमण को तार्किकता और संवैधानिक आवश्यकता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए। वैधानिक कानून के बिना इस तरह के आक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती।’ कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कई रिपोर्ट मोटिवेटेड थी। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
अदालत ने कहा कि पहली नजर में केस बन रहा है। कोर्ट ने कहा कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है। उनमें संतुलन भी जरूरी है। तकनीक पर आपत्ति सबूतों के आधार पर होनी चाहिए।कोर्ट ने कहा कि प्रेस की आजादी पर कोई असर नहीं होना चाहिए। उनको सूचना मिलने के स्रोत खुले होने चाहिए। उन पर कोई रोक ना हो. हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि न्यूज पेपर पर आधारित रिपोर्ट के आधार पर दायर की गई याचिकाओं से हम संतुष्ट नहीं थे। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल ने भी ऐसी याचिकाएं को तथ्यों से परे और गलत मानसिकता से प्रेरित बताया था।
पीठ ने मौखिक टिप्पणी की थी कि वह मामले की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी। पत्रकारों और कुछ अन्य लोगों द्वारा पेगासस विवाद में निजता के हनन को लेकर जताई गई चिंता पर शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसकी रुचि राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी विस्तृत जानकारी में नहीं है।