राज्यसभा में दिखी ऐसी जुगलबंदी, दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया 'आशीर्वाद' तो खेमों के सदस्य नहीं रोक पाए अपनी हंसी
च्च सदन में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद दिग्विजय सिंह बोलने के लिए उठ और उसके बाद जो उन्होंने बात कही, उसे सुनकर सत्ता और विपक्ष दोनों खेमों के सदस्य अपनी हंसी नहीं रोक पाए.
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किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे एवं शोर के बीच राज्यसभा में गुरुवार को एक ऐसा क्षण भी आया जब सदन सदस्यों की ठहाकों से गूंज उठा. दरअसल, उच्च सदन में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद दिग्विजय सिंह बोलने के लिए उठ और उसके बाद जो उन्होंने बात कही, उसे सुनकर सत्ता और विपक्ष दोनों खेमों के सदस्य अपनी हंसी नहीं रोक पाए. इस दौरान दिग्विजिय ने भाजपा नेता पर मजाकिया लहजे में तंज कसे। दरअसल, सदन में सिंधिया ने लॉकडाउन, उसकी उपलब्धियों और किसानों के हित में उठाए गए सरकार के कदमों का बचाव किया।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान आज कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह एक-दूसरे से अलग ही अंदाज में बातें करते दिखे. बीजेपी के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कृषि सुधार के मसले को लेकर कांग्रेस पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया.
सिंधिया ने जैसे ही अपनी बात खत्म की। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने अगले वक्ता के रूप में दिग्विजय सिंह का नाम पुकारा। नायडू ने जैसे ही सिंह का नाम पुकारा सदन के सदस्य अपनी हंसी नहीं रोक पाए और हॉल ठहाकों से गूंजने लगा। इस पर नायडू ने कहा, 'मैंने कोई परिवर्तन नहीं किया है। लिस्ट में जो आया उसी के हिसाब से मैंने बुलाया।'
ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कृषि बिल के पक्ष में अपनी बात रखने के बाद दिग्विजय सिंह खड़े हुए और उन्होंने कहा कि मैं सिंधिया जी को बधाई देता हूं। जितने अच्छे ढंग से वे यूपीए सरकार के समय सरकार का पक्ष रखते थे, उतने ही अच्छे तरीके से उन्होंने भाजपा सरकार का पक्ष रखा। आपको बधाई हो, वाह जी महाराज वाह। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनसे कहा, सब आपका आशीर्वाद है। तब इस पर दिग्विजय सिंह ने उनसे कहा कि हमेशा रहेगा। आप जिस पार्टी में रहें, आगे भी जो हो, हमारा आशीर्वाद आपके साथ था, है और रहेगा। दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच इस बातचीत के दौरान पूरा सदन हंसी-ठहाकों से गूंज उठा।
बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधार का एजेंडा पेश किया गया था. उस समय के हमारे कृषि मंत्री शरद पवार ने 2010-2011 में हर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि कृषि में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी जरूरी है और इसके लिए एपीएमसी कानून में संशोधन होना चाहिए. जुबान बदलने की आदत हमें बदलनी होगी. पट भी मेरा और चट भी मेरा .. यह कब तक चलेगा?