Swastik Symbol : क्या आप जानते हैं स्वास्तिक के इस रहस्य के बारे में, बदल सकती है आपकी जिंदगी
इसी प्रकार ऊं (OM) की ध्वनि है जिसे चिन्हं के तौर पर भी लिखा जाता है और जिसे मंत्र की तरह उच्चरित भी किया जाता है
हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म (Hinduism) में बहुत सारे देवी- देवता आते हैं। इन सभी देवी - देवाओं (Hindu religion) का अपनी अलग पहचान है व प्रतीक हैं। इसी प्रकार ऊं (OM) की ध्वनि है जिसे चिन्हं के तौर पर भी लिखा जाता है और जिसे मंत्र की तरह उच्चरित भी किया जाता है। जिसे स्वतंत्र रूप से देव का दर्जा भी हासिल है। इसी तरह कल्याणकारी होता है स्वस्तिक (Swastik symbol) का चिन्ह। बहुत कम लोग जानते है स्वस्तिक (Swastik) का प्रवाव हमारे जीवन में किस प्रकार पड़ता है।
जानिए, क्या है इसका शाब्दिक अर्थ
अगर शब्द के आधार पर देखा जाये तो स्वस्तिक में प्रयुक्त हुए सु का अर्थ है अच्छे एवं शुभ के रूप में लिया जाता है साथ ही इसमें अस्ति का इस्तेमाल भी हुआ है जिसका तात्पर्य है होना यानि कुल मिलाकर इसका अर्थ हुआ शुभ होना, कल्याण होना इस प्रकार स्वस्तिक का अर्थ हुआ कुशल व कल्याण।
क्या कहता है स्वस्तिक की संचरचना
बात करते है इसकी संरचना की तो स्वस्तिक में सबसे पहले दो सीधी रेखाएं खिंची जाती हैं जो आगे चलकर मुड़ जाती हैं और इनके किनारे फिर से थोड़े मुड़ हुए होते हैं। जिस स्वस्तिक में ये रेखाएं दाईं ओर मुड़ती हैं उसे दक्षिणावर्त और जिसमें बाईं ओर मुड़ती हैं उसे वामावर्त स्वस्तिक कहा जाता है। इसे कुछ इस प्रकार से बनाया जाता है। स्वस्तिक का आरंभिक आकार पूर्व से पश्चिम एक खड़ी रेखा तो दूसरी इस रेखा के ऊपर से दक्षिण से उत्तर की ओर आड़ी खिंची जाती है। इसकी चारों भुजाओं के सिरों पर पूर्व से एक-एक रेखा जोड़ी जाती है।
क्या है बिंदु का मतलब
इसके बाद चारों रेखाओं के बीच में एक-एक बिंदु लगाया जाता है। अगर इसके आकार की बात करें तो लगभग 9 इंच का बनाये जाने का विधान है ऊंगलियों से नापने पर 7 या 9 अंगुल के आकार का भी हो सकता है। इसके प्रयोग के बारे में आप सब जानते ही होंगे कि किसी भी मांगलिक कार्य में पूजा के स्थान से लेकर घर के दरवाजे की चौखट तक स्वस्तिक बनाने की परंपरा है।
जानिए, क्या है इसका महत्व
- हिंदू धर्म में स्वस्तिक शक्ति, समृद्धि, सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
- यदि घर में वास्तु का दोष है तो उसे ठीक करने के लिये भी स्वस्तिक का इस्तेमाल किया जाता है।
- मान्यता है कि स्वस्तिक के प्रयोग से समस्त नेगेटिविटी छू मंतर हो जाती है।
- इसके साथ ही स्वस्तिक सिर्फ मंगल का प्रतीक नहीं बल्कि इसे भगवान श्री गणेश और देवर्षि नारद की शक्तियों का वाहक एवं भगवान विष्णु और सूर्यदेव का आसन भी माना जाता है।
- इतना ही नहीं स्वस्तिक के बायें हिस्से को श्री गणेश का बीज मंत्र गं भी मानते हैं तो इसमें निहित चार बिंदियों को गौरी, पृथ्वी, कच्छप सहित अनेक देवताओं का वास माना जाता है।
- धन और वैभव के लिये यह इतना मंगलकारी होता है कि हर बही खाते की शुरुआत में इस चिन्ह को बनाया जाता है।