GOOD NEWS: Coronavirus Vaccine को लेकर आई बड़ी खबर, भारत में सबसे पहले मिलेगा इस महामारी का इलाज
दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन ढूंढने में लगी है, जिसमें ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन भी शामिल है। भारत में इसे 'कोविशील्ड' नाम दिया गया है
नई दिल्ली. कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। इसी के साथ भारत में अब कोरोना संक्रमितों की संख्या 28 लाख के पार हो गई। इतना ही नहीं देश में पिछले एक दिन में 977 लोगों की जान भी गई है और अब कुल मौतों का आंकड़ा 53 हजार 866 पर पहुंच गया है। इस लिहाज से भारत अभी दुनिया में कोरोना से मौतों के मामले में चौथे स्थान पर है। दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन ढूंढने में लगी है, जिसमें ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन भी शामिल है। भारत में इसे 'कोविशील्ड' नाम दिया गया है। पुणे की कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन के उत्पादन में एस्ट्राजेनेका की पार्टनर है।
सीरम इंस्टिट्यूट ने ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल शुरू कर दिया है। देश के 17 शहरों में इस वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है, जिसमें वॉलिंटियर के तौर पर 18 साल से ज्यादा उम्र वाले करीब 1600 लोगों को शामिल किया गया है। भारत में वैक्सीन की रेस में सबसे आगे इसी टीके को माना जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इस साल के अंत तक यह वैक्सीन भारतीय लोगों को मिल सकती है।
हाल ही में अदार पूनावाला ने कहा था कि उनकी कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया प्रति मिनट वैक्सीन की 500 खुराक तैयार करेगी। शुरुआत में हर महीने 40 से 50 लाख वैक्सीन की डोज तैयार करने पर ध्यान दिया जाएगा। बाद में कंपनी इसे बढ़ाकर सालाना 35 से 40 करोड़ डोज तक ले जाएगी। अदार पूनावाला के मुताबिक, इस वैक्सीन की कीमत बेहद ही कम होगी।
ऑक्सफोर्ड के अलावा भारत में जो वैक्सीन विकसित की जा रही है, उसका नाम 'कोवैक्सीन' है। इसे भारत बायोटेक कंपनी आईसीएमआर के सहयोग से विकसित कर रही है। इसके पहले चरण का ट्रायल पूरा हो गया है और दूसरे चरण के ट्रायल की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि इसकी शुरुआत सितंबर से हो सकती है। इसके लिए लिए वॉलंटियर्स (स्वयंसेवकों) की पहचान की जा रही है।
अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला भी कोरोना की वैक्सीन बना रही है। इसे 'जायकोव-डी' नाम दिया गया है। फिलहाल इसके दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। कंपनी के चेयरमैन पंकज आर. पटेल के मुताबिक, पहले चरण में वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है। जिन लोगों को यह वैक्सीन दी गई थी, सात दिनों तक डॉक्टरों की टीम द्वारा उनकी निगरानी की गई, लेकिन उनमें कोई भी साइड-इफेक्ट देखने को नहीं मिला। कई विशेषज्ञों ने भी इस वैक्सीन को सुरक्षित बताया है।