अयोध्या में दीपोत्सव को वैश्विक बनाने के लिए योगी सरकार ने कसी कमर, 500 साल बाद पूरा होगा ये सपना
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ द्वारा सत्ता की कुर्सी संभालने के बाद से अयोध्या में हर साल दीपोत्सव को एक अलग अंदाज में मनाया जा रहा है। सीएम योगी की हमेशा प्राथमिकता रही है कि अयोध्या में दीपोत्सव वैश्विक स्तर पर मनाया जाय
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ द्वारा सत्ता की कुर्सी संभालने के बाद से अयोध्या में हर साल दीपोत्सव को एक अलग अंदाज में मनाया जा रहा है। सीएम योगी की हमेशा प्राथमिकता रही है कि अयोध्या में दीपोत्सव वैश्विक स्तर पर मनाया जाय। इसीलिए इस बार भी दीपावली के मौके पर अयोध्या पूरी दुनिया में आकर्षण का केंद्र रहेगी। बता दें कि सीएम योगी ने अयोध्या में दीपोत्सव मनाने के लिए खास निर्देश दिए हैं। और इसको लेकर चल रही तैयारियों की निगरानी भी खुद कर रहे हैं।
दरअसल इसके पीछे जो मुख्य कारण है, वो ये कि करीब पांच सदी बाद श्रीराम जन्म भूमि पर मन्दिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार दीपोत्सव होने जा रहा है। ऐसे में श्रीराम में श्रद्धा रखने वालों के लिए ये किसी सपने से कम नहीं है। बता दें कि करीब 492 साल बाद यह पहला मौका होगा, जब श्री रामजन्म भूमि पर भी ‘खुशियों’ के दीप जलेंगे। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अयोध्या से गहरा जुड़ाव जगजाहिर है। लिहाज़ा ‘अयोध्या दीपोत्सव’ को वैश्विक उत्सव बनाने में वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। तैयारियों पर उनकी नजर बनी हुई है। कहां, कब क्या होना है इसका प्रस्तुतिकरण भी वह देख चुके हैं।
बता दें कि सीएम योगी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज कुंभ की भव्यता-दिव्यता और स्वच्छता के लिए भी पूरी दुनिया से सराहना पा चुके हैं। अब ऐसे में उनके सामने दीपोत्सव को वैश्विक आयोजन बनाने का भी जिम्मा है। और इसके लिए वो पूरी शिद्दत से जुटे हैं। 11 से 13 नवम्बर तक आयोजित होने वाले दीपोत्सव की एक-एक तैयारी पर सीएम की नजर है। जब से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, ऐसे में इस बार उनका अयोध्या में यह चौथा दीपोत्सव है। अन्य दीपोत्सव की तरह इसमें भी दीपकों के मामले में रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है।
मालूम हो कि करीब पांच शताब्दी पूर्व 1527 में मुगल सूबेदार मीरबांकी के अयोध्या जन्मभूमि पर कब्जा किया था। इसके बाद से अब देश ही नहीं, दुनिया के करोड़ों रामभक्तों का श्री राम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण का सपना पूरा हो रहा है। ऐसे में इस दीपोत्सव को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर है। हालांकि कोरोना के नाते इस अवसर पर खास इंतजाम किया गया है। बता दें कि जो लोग अयोध्या में प्रवेश नहीं कर सकते, उन्हें वर्चुअल तरीके से इस भव्य दीपोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। इसके लिए योगी सरकार ने तैयारियां भी कर ली हैं। बता दें कि इस बार इसें सीमित लोग ही जाएंगे, लेकिन वर्चुअल रूप से हर कोई घर बैठे अयोध्या के भव्य और दिव्य दीपोत्सव का आनंद ले सकता है।
गोरक्षपीठ और राम मंदिर आंदोलन
वहीं जिस गोरक्षपीठ से योगी आदित्यनाथ जुड़े हैं, उस पीठ की आजादी के पहले से लेकर अब तक मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एक वजह ये भी है कि सीएम योगी का अयोध्या से खास लगाव रहता है। मसलन 1949 को जब विवादित ढांचे के पास रामलला का प्रकटीकरण हुआ, तो पीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ कुछ साधु-संतों के साथ वहां संकीर्तन कर रहे थे। उनके शीष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ 1984 में गठित श्रीरामजन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति के आजीवन अध्यक्ष रहे। अक्टूबर 1984 में लखनऊ से अयोध्या तक धर्मयात्रा का आयोजन उनकी अगुआई में हुआ। उस समय लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में एक बडा सम्मेलन भी हुआ था। एक फरवरी 1986 में जब फैजाबाद के जिला जज कृष्ण मोहन पांडेय ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा अर्चना के लिए ताला खोलने का आदेश दिया था, पीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथजी वहां मौजूद थे। संयोगवश जज भी गोरखपुर के थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह भी गोरखपुर के ही थे।
राम मंदिर को लेकर सीएम योगी का जज्बा
मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अयोध्या और राममंदिर को लेकर उनका जज्बा और जुनून पहले जैसा ही रहा। अयोध्या जाने की दूर कोई भी राजनेता उसका नाम नहीं लेना चाहता था। मसलन तीन दशकों के दौरान मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी में से कोई भी कभी अयोध्या नहीं गया। बतौर मुख्यमंत्री उन्हें जब भी अवसर मिला अयोध्या गये। रामलला विराजमान के दर्शन किए और अयाेध्या के विकास के लिए जो भी संभव था किए। इनके ही समय में सुप्रीम कोर्ट ने मन्दिर के पक्ष में फैसला दिया। पांच अगस्त 20 को मन्दिर के भूमि पूजन के बाद तो अयोध्या के कायाकल्प की ही तैयारी है। ऐसे इस दीपोत्सव और दीवाली का बेहद खास होना स्वाभाविक है।