विश्व का सबसे बड़ा यूपी बोर्ड मनाएगा शताब्दी वर्ष, जानिये पूरा इतिहास
विश्व में सबसे बड़ा और देश का सबसे पुराना यूपी बोर्ड 99 वर्ष का हो गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय की तरह अगले वर्ष यूपी बोर्ड का भी शताब्दी वर्ष समारोह मनाने की तैयारी है
विश्व में सबसे बड़ा और देश का सबसे पुराना यूपी बोर्ड 99 वर्ष का हो गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय की तरह अगले वर्ष यूपी बोर्ड का भी शताब्दी वर्ष समारोह मनाने की तैयारी है। बोर्ड परीक्षाओं के बाद साल भर तक शिक्षा, खेल व मनोरंजन से जुड़े विविध आयोजन होंगे।
समारोह की तैयारियों को लेकर बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने इसी सप्ताह चुनिंदा अधिकारियों के साथ बैठक की। डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह के अनुसार, यूपी बोर्ड देश का पहला और सबसे पुराना शिक्षा बोर्ड होने के साथ ही विश्व का सबसे बड़ा बोर्ड है। इससे 22 हजार से ज्यादा स्कूल संबद्ध हैं। यह प्रत्येक वर्ष 10वीं व 12वीं के 56 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों की परीक्षा कराता है।
यूपी बोर्ड का इतिहास
यूपी बोर्ड (UP Board) देश ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था है. दसवीं और बारहवीं की परीक्षा कराने वाली संस्था उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद का मुख्यालय प्रयागराज में है. यह दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा संचालित करने वाली संस्था भी कही जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया में पांच ही देश ऐसे हैं जो आबादी के लिहाज से उत्तर प्रदेश की जनसख्या से बड़े हैं. यूपी बोर्ड ने 10+2 की शिक्षा प्रणाली अपनाई हुई है. यह दसवीं और बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करता है.
यूपी बोर्ड की स्थापना प्रयागराज में 1921 में संयुक्त प्रांत वैधानिक परिषद (यूनाइटेड प्रोविंस लेजिस्लेटिव काउंसिल) के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। इसका मुख्य काम बोर्ड परीक्षाएं कराना, स्कूलों को मान्यता देना और पाठ्यक्रम निर्धारित करना है। बोर्ड ने पहली परीक्षा 1923 में आयोजित की थी। 10+2 परीक्षा पद्धति अपनाने वाला यह देश का पहला शिक्षा बोर्ड है। इससे पहले प्रयागराज विश्वविद्यालय हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं कराता था।
उत्तर प्रदेश बोर्ड का मुख्य कार्य राज्य में हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा आयोजित करना होता है। इसके साथ ही राज्य में स्थित विद्यालयों को मान्यता देना, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट स्तर के लिए पाठ्यक्रम एवं पुस्तकें निर्धारित करना भी यूपी बोर्ड का ही प्रमुख कार्य है। साथ ही बोर्ड अन्य बोर्डों द्वारा ली गई परीक्षाओं को तुल्यता प्रदान करता है। यूपी जैसे बड़े प्रदेश में छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यूपी बोर्ड ने कई क्षेत्रीय कार्यालय भी खोले हैं।
हांलाकि प्रयागराज मुख्यालय से ही क्षेत्रीय कार्यालयों की समस्याओं का नियंत्रण और संचालन किया जाता है। बोर्ड के पांच क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना अलग-अलग शहरों में की है। मेरठ में 1973, वाराणसी में 1978, बरेली में 1981, प्रयागराज में 1987 और गोरखपुर में 2016 में की गई है। इन कार्यालयों में क्षेत्रीय सचिवों की नियुक्ति की गई है। जिनके ऊपर प्रयागराज स्थित मुख्यालय के सचिव प्रधान कार्यपालक के रूप में कार्यरत रहते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व रामनगर नैनीताल स्थित कार्यालय को उत्तराखंड राज्य के गठन के समय यू।पी।बोर्ड से अलग कर दिया गया। यूपी बोर्ड के पहले सचिव अभय चरन मुखर्जी बने थे, जिनका कार्यकाल 1922 से 1934 तक रहा। अब तक यूपी बोर्ड के इतिहास में 37 सचिवों की नियुक्ति हो चुकी है।