हिंसात्मक हुई ट्रैक्टर रैली! दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत, कई रास्ते और मेट्रो स्टेशन के गेट बंद

किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में एक किसान की मौत की खबर है. आईटीओ के पास एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई.

हिंसात्मक हुई ट्रैक्टर रैली! दिल्ली में  ट्रैक्टर रैली के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत, कई रास्ते और मेट्रो स्टेशन के गेट बंद

नए कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में 'ट्रैक्टर परेड' निकाल रहे प्रदर्शनकारी किसान अब हिंसक हो गए हैं। किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में एक किसान की मौत की खबर है. आईटीओ के पास एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई. ये घटना दीन दयाल उपाध्याय मार्ग के पास हुई. बताया जा रहा है कि प्रर्दशनकारी की मौत सड़क हादसे में हुई है, क्योंकि जहां पर मौत हुई है, वहीं एक ट्रैक्टर भी पलटा हुआ मिला. आईटीओ पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है और वहीं से पुलिस की बाधा को पार कर किसान निकल रहे है। आईटीओ से जो तस्वीरे आई है उनमें दिख रहा है कि पुलिसकर्मी ट्रैक्टर को रोकने का प्रयास कर रहे हैं और किसान ट्रैक्टर तेज दौड़ाते हुए आगे निकल रहे हैं। उधर बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर लेकर लाल क़िला पर पहुँच गए।

सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर समेत सभी जगहों पर पुलिस के बैरिकेड्स तोड़कर दिल्ली की सीमाओं में दाखिल हुए किसान लाल किले में घुस गए। आईटीओ पर पुलिस मुख्यालय के सामने पुलिस और किसानों में झड़प जारी है। स्थिति को काबू करने के लिए सरकार की ओर से अगले आदेश तक बॉर्डर के इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। वहीं कई मेट्रो स्टेशनों के गेट के साथ ही कई रास्ते भी बंद कर दिए गए हैं।


 किसानों को काबू करने के लिए पुलिस लाठीचार्ज के साथ ही आंसू गैस का इस्तेमाल कर रही है। ऐसा की कुछ नजारा गुरुग्राम में फरीदाबाद में भी देखा जा रहा है। बेकाबू होते किसानों को रोकने के लिए पुलिस द्वार किसानों को काबू करने के लिए जहां संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में आंसू गैस छोड़ी गई वहीं गाजीपुर में लाठीचार्ज किया गया। अब नांगलोई में भी किसानों का उग्र प्रदर्शन शुरू हो गया है।


कृषि क़ानूनों के खिलाफ आन्दोलन कर रहे किसान राजधानी दिल्ली के अंदरूनी हिस्सों तक पहुंच चुके हैं। केंद्रीय दिल्ली के आईटीओ के पास पुलिस उन्हें रोकने की नाकाम कोशिश कर रही है। पुलिस ने आँसू गैस के गोले छोड़े, लेकिन पुलिस वालों की तुलना में किसानों की तादाद बहुत ज़्यादा है। चारों तरफ अफरातफरी का माहौल है। हालाँकि किसान नेता शुरू से ही आंदोलन को शांतिपूर्ण रखने की बात कहते रहे हैं और क़रीब दो महीने के प्रदर्शन के बाद भी शांति रही थी। सोमवार शाम को भी किसान एकता मोर्चा ने इसी पर जोर दिया था कि ट्रैक्टर रैली शांतिपूर्ण होनी चाहिए।