वीडियोकॉन लोन केस: ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को मिली सशर्त जमानत, देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं

चंदा कोचर को 5 लाख रुपये के बांड और बिना अनुमति विदेश यात्रा न करने की शर्त पर जमानत मिली है. चंदा कोचर पर वेणुगोपाल धूत को लोन देने के एवज में घूस लेने का आरोप है.

वीडियोकॉन लोन केस: ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को मिली सशर्त जमानत, देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं

आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर को कोर्ट ने जमानत दे दी है। आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत में वह आज पेश हुईं थी, जहां कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। चंदा कोचर को 5 लाख रुपये के बांड और बिना अनुमति विदेश यात्रा न करने की शर्त पर जमानत मिली है. चंदा कोचर पर वेणुगोपाल धूत को लोन देने के एवज में घूस लेने का आरोप है. चंदा कोचर के वकील विजय अग्रवाल ने जमानत की पुष्टि की है.

बता दें कि इससे पहले पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने ICICI बैंक की प्रबंध निदेशक MD और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप में बर्खास्तगी के खिलाफ चंदा कोचर की अपील को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश में दखल नहीं देने का फैसला किया जिसने चंदा कोचर (Chanda Kochhar) की याचिका खारिज कर दी थी। चंदा कोचर ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश की अपील की थी जिसने आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ के रूप में बर्खास्तगी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

30 जनवरी को भेजा था समन

ICICI-वीडियोकॉन लोन मामले में चंदा कोचर आज मुंबई PMLA कोर्ट में पेश हुईं। इस महीने की शुरुआत में एक स्पेशल PMLA कोर्ट ने कहा था कि ED की तरफ से पेश सबूत कोचर और दूसरे लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू करने के लिए पर्याप्त हैं। इससे पहले 30 जनवरी को स्पेशल कोर्ट ने चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर, वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत और कुछ दूसरे लोगों को समन भेजा था।

क्या है पूरा मामला

वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच कर रही ईडी के मुताबिक चन्दा कोचर जून 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ थीं. बैंक ने ऋण आवंटन समिति की नीति और नियमों से आगे जाकर वीडियोकॉन समूह की कई कंपनियों को छह अलग-अलग लोन मंजूर किए जो कुल करीब 300 करोड़ रुपये की राशि है.

चंदा उस कमेटी का हिस्सा रहीं जिसने 26 अगस्त 2009 को बैंक द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपए और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपए देने की मंजूरी दी थी। कमेटी का इस फैसले ने बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी का उल्लंघन किया।