यूपी विधानसभा उपचुनाव: आज से नामांकन शुरू, लेकिन बीजेपी अबतक नहीं घोषित कर पाई उम्मीदवार
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 7 सीटों पर उपचुनाव के लिए नामांकन आज से शुरू हो गए हैं. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा यहां तक कि प्रसपा ने भी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 7 सीटों पर उपचुनाव के लिए नामांकन आज से शुरू हो गए हैं. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा यहां तक कि प्रसपा ने भी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. लेकिन सत्ताधारी बीजेपी ने अभी अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि ज्यादातर सीटें बीजेपी के विधायक मंत्रियों के निधन से खाली हुई हैं. और ऐसे में उनके परिवार से ही तीन-तीन, चार-चार लोग दावेदारी कर रहे हैं. जिसको लेकर पार्टी की भी मुश्किल बढ़ गई है..और इन दावेदारों में से किसे टिकट दिया जाए इस पर माथापच्ची लगातार जारी है.
प्रदेश में होने जा रहे हैं 7 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव को 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. जिन 7 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें ज्यादातर सीटें बीजेपी के विधायक या फिर मंत्री के निधन से खाली हुई हैं. इनमें कानपुर की घाटमपुर सीट जिस पर कमल रानी वरुण चुनाव जीतीं थी उनके निधन के बाद खाली हुई. अमरोहा की नौगांव सादात से कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान के निधन से खाली हुई. देवरिया की सीट बीजेपी विधायक जन्मेजय सिंह के निधन से खाली हुई. बुलंदशहर की सीट बीजेपी के मुख्य सचेतक रहे विरेंद्र सिंह सिरोही के निधन से खाली हुई. जबकि फिरोजाबाद की टूंडला सीट कैबिनेट मंत्री रहे एसपी सिंह बघेल के सांसद बन जाने के बाद खाली हुई.
इन चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार कई सीटों पर घोषित कर दिए हैं. बहुजन समाज पार्टी ने भी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस ने भी कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. यहां तक कि शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा ने भी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. लेकिन सत्ताधारी बीजेपी की तरफ से किसी भी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया गया है. इसके पीछे जानकार यह मानते हैं कि दरअसल बीजेपी के लिए मुश्किल यह है कि जो सीटें उसके विधायकों या मंत्री के निधन से खाली हुई है वहां पर उनके परिवार के तीन तीन चार चार लोग टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. कहीं बेटी टिकट मांग रही है तो कहीं पत्नी टिकट मांग रही है. कहीं भाई ही आपस में लड़ रहे हैं तो कहीं सास बहू ही टिकट की दावेदारी कर रही हैं और यही वजह है कि पार्टी आलाकमान को भी किसे टिकट दिया जाए इसे लेकर लंबी माथापच्ची करनी पड़ रही है.
अमरोहा की नौगांव सादात सीट से पूर्व मंत्री रहे चेतन चौहान की पत्नी संगीता चौहान टिकट मांग रही हैं. तो वहीं बुलंदशहर सीट से विरेंद्र सिरोही की पत्नी उषा सिरोही, उनके बड़े बेटे विनय सिरोही, उनकी पत्नी अरुणा सिरोही और वीरेंद्र सिरोही के सबसे छोटे बेटे विनय सिरोही भी टिकट के दावेदारों में शामिल हैं. जबकि बांगरमऊ सीट पर बीजेपी के विधायक रहे और रेप के आरोप में जेल की सजा काट रहे कुलदीप सिंह सिंगर की पत्नी संगीता सेंगर टिकट की सबसे प्रबल दावेदार हैं. वही घाटमपुर से कमल रानी वरुण विधायक बनीं और फिर कैबिनेट मंत्री बनीं. उनके निधन के बाद अब उस सीट पर उनकी बेटी स्वप्निल वरुण और उनके परिवार के एक और सदस्य टिकट के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं.
जबकि देवरिया की सीट जो बीजेपी विधायक जन्मेजय सिंह के निधन से खाली हुई उस पर जन्मेजय सिंह के बेटे अजीत प्रताप सिंह टिकट मांग रहे हैं. इसके अलावा क्षेत्र के पूर्व विधायक और पूर्व सांसद भी अपने परिवार में ही टिकट के लिए दावेदारी ठोंक रहे हैं. वहीं फिरोजाबाद की टूंडला सीट जो कैबिनेट मंत्री एस पी सिंह बघेल के सांसद बन जाने के बाद खाली हुई थी, वहां खुद एसपी सिंह बघेल अपनी बेटी सलोनी बघेल के लिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.
दरअसल, ये एक बड़ी वजह है कि बीजेपी ने नामांकन शुरू होने के बावजूद अब तक किसी भी सीट पर उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है क्योंकि पार्टी फिलहाल अभी यह तय नहीं कर पाई है कि क्या उसे परिवार के ही किसी सदस्य को टिकट देना है या फिर जो दूसरे लोग अपनी उम्मीदवारी कर रहे हैं उनको कैंडिडेट घोषित किया जाए.