फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह वाली याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट- कहा सरकार से अलग राय रखना देशद्रोह नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने अब्दु्ल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।

फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह वाली याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट- कहा सरकार से अलग राय रखना देशद्रोह नहीं

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अब्दु्ल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अब्दुल्ला के खिलाफ जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि सरकार की राय से भिन्न विचारों की अभिव्यक्ति को देशद्रोही नहीं कहा जा सकता है।

फारूक अब्दुल्ला के बयान को देखते हुए उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ दाखिल देशद्रोह का मुकदमा चलाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता के ऊपर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

सुप्रीम कोर्ट (SC Comment) में रजत शर्मा नाम के एक शख्स ने याचिका दाखिल की थी. इस याचिका को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खिलाफ बयान देने पर फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह की कार्यवाही करने के आदेश देने की मांग की गई थी.

इस याचिका में कहा गया था कि फारूक अब्दुल्ला ने देश विरोधी और देशद्रोही काम किया है. उनके खिलाफ ना केवल गृह मंत्रालय को कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए बल्कि उनकी संसद सदस्यता भी रद्द की जाए. अगर उनको संसद सदस्य के तौर पर जारी रखा जाता है तो इसका अर्थ है कि भारत में देश-विरोधी गतिविधियों को स्वीकार किया जा रहा है और ये देश की एकता को नुकसान पहुंचाएगा.

फारूक अब्दुल्ला पर आरोप था कि 2020 में एक टेलीविजन इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि चीन इसके समर्थन और संविधान के अनुच्छेद 370 को बहाल करने में मदद करें। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस बात से इनकार किया कि उनके नेता ने कभी भी अनुच्छेद 370 को चीन की मदद से बहाल करने की मांग की। वहीं खुद अब्दुल्ला ने भी इन आरोप को गलत ठहराया था।