कृषि बिलों को लेकर जारी किसान आंदोलन के समर्थन में आए ट्रांसपोर्टर, 8 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल पर जाने का किया आह्वान
ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए बुधवार को उत्तर भारतीय राज्यों में और बाद में पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही को रोकने की धमकी दी है।
तीन कृषि बिलों को लेकर जारी किसान आंदोलन के समर्थन में उतरे ट्रांसपोर्टरों ने आगामी 8 दिसंबर से देशव्यापी हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है। ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए बुधवार को उत्तर भारतीय राज्यों में और बाद में पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही को रोकने की धमकी दी है। करीब 1 करोड़ माल वाहक ट्रक ड्राइवरों का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च ट्रांसपोर्ट बॉडी ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने किसानों के विरोध के समर्थन में 8 दिसंबर से हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है। AIMTC ने बयान जारी कर कहा ट्रांसपोर्टर किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। वे अपने वैध अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं भारत के सड़क सड़क परिवहन क्षेत्र की तरह, कृषि क्षेत्र वास्तव में देश की रीढ़ और जीवन रेखा है। 70 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवार कृषि पर निर्भर हैं। संपूर्ण उत्तर भारत और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर से आने वाले हजारों ट्रक प्रभावित हुए हैं। हम उनका समर्थन करते हैं, क्योंकि, 65 फीसदी ट्रक कृषि से जुड़ी चीजों को लाने में लगे हुए हैं।”
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है। किसान सिंघु बॉर्डर पर डटे हैं। इधर नोएडा में भी किसानों ने डेरा डालना शुरू कर दिया है। बुधवार को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि किसानों से कल दोबारा बातचीत होगी। उन्होंने कहा, देखते हैं मुद्दों को किस हद तक हल किया जा सकता है। इस बीच क्रांतिकारी किसान यूनियन भी आंदोलन में शामिल हो गया है। यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल का कहना है कि 5 दिसंबर को केन्द्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के विरोध में पूरे देश में पुतले जलाने का आह्वान किया गया है। उन्होंने कहा, हम मांग करते हैं कि केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विशेष संसद सत्र बुलाना चाहिए।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान विशेषकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हजारों किसान दिल्ली से लगती सीमाओं के प्रवेश मार्गों पर बुधवार को लगातार सातवें दिन भी डटे हुए हैं। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा। बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स एक्ट, 2020, द फार्मर्स एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।