किसानों को मनाने की कवायद, कृषि कानूनों पर संशोधन के लिए विशेष संसद सत्र बुला सकती है केंद्र सरकार!
सरकार कानूनों में संशोधन के लिए अलग से खास संसद सत्र का आयोजन भी कर सकती है.
कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की नाराजगी का दौर 10वें दिन भी जारी है. सरकार के साथ 4 बार चर्चा होने के बाद भी कोई हल नहीं निकल सका है. हालांकि, इस दौरान सरकार ने कृषि कानूनों में कुछ संशोधन के संकेत दिए हैं. वहीं खबर ये भी है कि सरकार कानूनों में संशोधन के लिए अलग से खास संसद सत्र का आयोजन भी कर सकती है.
इन विषयों पर संशोधन करने के मूड में सरकार
सूत्रों ने बताया है कि सरकार भी किसानों की कुछ मांगों को मानना चाह रही है. माना जा रहा कि इन संशोधनों में एमएसपी, प्राइस गारंटी स्कीम और कॉन्ट्रैक्ट खेती के विवादों से जुड़ी तीन से चार काफी जरूरी मांगों को शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा गैर सरकारी बाजारों से खरीदी करने पर निजी ग्राहकों को खुद को रजिस्टर भी कराना पड़ सकता है. शनिवार को हुई पांचवे दौर की मीटिंग से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर चर्चा की थी. इन प्रदर्शनों को विपक्षी दलों का छलावा मानने के अलावा सरकार ने भी किसानों की मांगों को लेकर लचीलापन दिखाया है. सरकार को भरोसा है कि संशोधित कानूनों को संसद के दोनों सदनों में आराम से पास कर दिया जाएगा.
पंजाब और हरियाणा को सबसे ज्यादा डर
बीते सितंबर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन कृषि कानूनों पर हस्ताक्षर किए थे. कई लोगों ने इसे 1991 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के औद्योगिक बदलाव से जोड़कर देखा था. खास बात है कि सरकार के इन कानूनों से सबसे ज्यादा डर पंजाब और हरियाणा को है. ये दोनों राज्य चावल, गेंहूं के सबसे बड़े उत्पादक हैं और ये दोनों चीजें न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर खरीदी जाती हैं. हालांकि, लगातार प्रदर्शन कर रहे नाराज किसानों का भरोसा जीतने के लिए सरकार ने एमएसपी को जारी रखने के निर्देश दे दिए हैं. इतना ही नहीं सरकार इसे आलू और प्याज जैसी जरूरी सब्जियों पर भी लागू कर सकती है.