वैक्सीन अभी आई भी नहीं और मंजूरी मिलते ही आमने-सामने हुए भारत बायोटेक और सीरम, जानिए क्या है पूरा मामला?
दोनों वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के मालिक आपस में ही भिड़ गए हैं। सीरम इंस्टीट्यूट के CEO अदार पूनावाला ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर आपत्ति जताई थी।
भारत में अभी दो कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को आपातकालीन इस्तेमाल की इजाजत दी गई है. इनमें पहली वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन है तो दूसरी सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड जो ऑक्सफोर्ड-एक्स्ट्राजेनेका की वैक्सीन का ही भारतीय संस्करण है. हालांकि, अब दोनों वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के मालिक आपस में ही भिड़ गए हैं। सीरम इंस्टीट्यूट के CEO अदार पूनावाला ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। अब भारत बायोटेक के फाउंडर और चेयरमैन कृष्णा एल्ला ने भी सीरम इंस्टिट्यूट पर पलटवार किया है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला का नाम लिए बिना इल्ला ने कहा हमने 200 प्रतिशत ईमानदार परीक्षण किए हैं और फिर भी हमारी आलोचना की जा रही है। यदि मैं गलत हूं तो हमें बताएं। कुछ कंपनियों ने हमारे टीके को पानी की तरह बताया है। मैं इससे इनकार करता हूं। कोवैक्सीन बैकअप नहीं है। कुछ लोगों के जरिए वैक्सीन का राजनीतिकरण किया जा रहा है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।’ दरअसल पिछले दिनों सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा था कि अब तक सिर्फ फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की प्रभावकारिता साबित हुई है और बाकी सभी वैक्सीन सिर्फ पानी की तरह सुरक्षित हैं.
एल्ला ने एम्स प्रमुख डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के बयान को लेकर भी आपत्ति जताई. डॉक्टर गुलेरिया ने कोवैक्सीन का इस्तेमाल अन्य वैक्सीन के बैकअप की तरह करने का सुझाव दिया था. एल्ला ने कहा, 'ये एक वैक्सीन है, बैकअप नहीं. इस तरह के बयान देने से पहले लोगों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए.' हालांकि इस बयान के बाद ही गुलेरिया ने सफाई देते हुए कहा कि दोनों ही वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं.
बायोटेक के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (Corona Vaccine) के ट्रायल के दौरान स्वयंसेवकों को शॉट से पहले पेरासिटामोल की गोली दी गई थी और यदि उनकी कंपनी ऐसा कुछ करती तो इसे भारतीय नियामकों ने अबतक बंद कर दिया होता। उन्होंने कहा, ‘हमने स्वयंसेवकों को पेरासिटामोल नहीं दिया है, इसलिए जो भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया होती है, वह 100 प्रतिशत होती है भले ही वह अच्छी हो या बुरी। यह वास्तविक समय में दर्ज किया गया है।’
बयानबाजी दुर्भाग्यपूर्ण
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा, 'सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक कंपनियों की वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिलने के बाद दोनों कंपनियों के बीच हुई आपसी बयानबाजी दुर्भाग्यपूर्ण है. यह संवेदनशील मुद्दा है जिसमें प्रधानमंत्री को दखल देना चाहिए.'
वहीं, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि भाजपा सरकार ने कोरोना महामारी का राजनीतिक दुरुपयोग किया है. वैक्सीन पर विवाद इसकी नवीनतम अभिव्यक्ति है. कौन अपने आपको कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाएगा, जब उसकी विश्वसनीयता पर सवालिया निशान हैं.