अफगानिस्तान-पाक सीमा क्षेत्र में मौजूद हैं आतंकियों के ठिकाने, चरमपंथ तालीम का गढ़ बने पाकिस्तानी मदरसे
यही नहीं आईएस-के के आतंकियों ने नागरिकों, पत्रकारों, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को जारी रखा है
अमेरिका की एक रिपोर्ट ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा करने वाले पाकिस्तान की पोल खोलकर रख दी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामिक स्टेट-खुरासान , अल कायदा और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे आतंकी संगठन अभी भी अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र को सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। यही नहीं आईएस-के के आतंकियों ने नागरिकों, पत्रकारों, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को जारी रखा है।
समाचार एजेंसी आइएएनएस ने रेसोल्यूट सपोर्ट मिशन की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि पहली जनवरी से 30 सितंबर के बीच विद्रोही और आतंकी हमलों में 1,818 नागरिकों की मौत हुई जबकि 3,488 घायल हुए। यही नहीं पाकिस्तान के मदरसों में हिंसक चरमपंथी सिद्धांतों की पढ़ाई जारी है। यह इमरान खान की सरकार के मदरसा रेगुलेशन को बढ़ाने की तमाम कोशिशों के बीच हो रहा है।
पाकिस्तान के कई मदरसों ने सरकार के साथ पंजीकरण करने, अपनी फंडिंग के स्रोतों के दस्तावेज मुहैया कराने के साथ तमाम कायदे कानूनों का पालन करने में विफल रहे हैं। यही नहीं पाकिस्तान की सरकार ने आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के लिए अपनी साल 2015 की राष्ट्रीय कार्य योजना पर कोई खास प्रगति नहीं की है। यही वजह है कि एफएटीएफ पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखे हुए है।