Uttarakhand Flood : वैज्ञानिकों ने पहले ही दे दी थी चेतावनी, जानिए क्या कहा था 8 महीने पहले

उन्होंने इस बारे में जम्मू-कश्मीर के काराकोरम रेंज में स्थित श्योक नदीं का उदाहरण दिया था

7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले में जिस ग्लेशियर के फटने से इतनी बड़ी तबाही आई है, इसकी चेतावनी उत्तराखंड के ही वैज्ञानिकों ने 8 महीने पहले दे दी थी। उन्होंने बताया था कि उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के कई इलाकों में ऐसे ग्लेशियर हैं, जो कभी भी फट सकते हैं। उन्होंने इस बारे में जम्मू-कश्मीर के काराकोरम रेंज में स्थित श्योक नदीं का उदाहरण दिया था।

वैज्ञानिकों ने बताया कि श्योक नदी के प्रवाह को एक ग्लेशियर ने रोक दिया है। इसकी वजह से अब वहां एक बड़ी झील बन गई है। झील में ज्यादा पानी जमा हुआ तो उसके फटने की आशंका है। यह चेतावनी दी थी देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने। वैज्ञानिकों ने चेताया था कि जम्मू-कश्मीर काराकोरम रेंज समेत पूरे हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों द्वारा नदी का प्रवाह रोकने पर कई झीलें बनी हैं. यह बेहद खतरनाक स्थिति है।

2013 की आपदा के बाद से वैज्ञानिक लगातार हिमालय पर रिसर्च कर रहे हैं। देहरादून के भू-विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं ने एक बड़ी चेतावनी जारी की है। उनके मुताबिक ग्लेशियरों के कारण बनने वाली झीलें बड़े खतरे का कारण बन सकती हैं। 2013 की भीषण आपदा इसका जीता जागता उदाहरण है कि किस तरह से एक झील के फट जाने से उत्तराखंड में तबाही का तांडव हुआ था।

वैज्ञानिकों ने श्योक नदी समेत हिमालयी नदियों पर जो रिसर्च किया है वह इंटरनेशनल जर्नल ग्लोबल एंड प्लेनेटरी चेंज में प्रकाशित हुआ है। इस रिपोर्ट में दुनिया के विख्यात जियोलॉजिस्ट प्रोफेसर केनिथ हेविट ने भी मदद की है।