कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में विशेष सत्र बुलाने की गहलोत सरकार की मंशा पर राठौड़ ने उठाए सवाल

राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित करने का निर्णय संघीय ढांचे को कमजोर करने और संविधान की आत्मा पर चोट पहुंचाने वाला है।

कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में विशेष सत्र  बुलाने की गहलोत सरकार की मंशा पर राठौड़ ने उठाए सवाल

राजस्थान के विधानसभा का सत्र शनिवार से शुरू होने जा रहा है. इस सत्र के दौरान प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार केंद्र के कृषि कानूनों  के खिलाफ अध्यादेश ला सकती है. वहीं सत्र से पहले उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित करने का निर्णय संघीय ढांचे को कमजोर करने और संविधान की आत्मा पर चोट पहुंचाने वाला है। भाजपा इसका कड़ा विरोध करेगी। गहलोत विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिल्ली में बैठे अपने आकाओं के समक्ष नंबर बढ़ाने की कोशिश करने का प्रयास रहे हैं,  वही राठौड़ ने कहा कि विधानसभा  का सत्र तो बेशक बुलाया जाना चाहिए, लेकिन इस सत्र में केंद्र के कृषि कानूनों की बजाय नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रदेश में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है उस पर सरकार को सदन में चर्चा करनी चाहिए.


भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दुगुनी करे के लिए तीन कृषि् विधेयक परित किए, लेकिन कांग्रेस ने यूटर्न लिया है। 2019 के उनके घोषणा पत्र में इसका उल्लेख था। मगर राजस्थान सीएम को सोनिया गांधी को भक्ति दिखाने के लिए गहलोत को एक नया अवसर मिला है। विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर बिल पर चर्चा करके किसानों को गुमराह करना कांग्रेस का नया पाखंड हैं। मगर राजस्थान का किसान बिल और कांग्रेस दोनों की हकीकत को जानता है। वही पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान सरकार की कोई दिशा दृष्टि नहीं है। बस नरेंद्र मोदी और भाजपा ने राहत के जो कानून बनाए हैं, उनको कैसे तोड़ा—मरोड़ा जाए ताकि किसी को उसका लाभ नहीं मिले। सरकार इस कानून को बदलकर किसानों के हितों के साथ कुठाराघात करने का काम करेगी।