कानूनों पर रोक लगने के बाद राकेश टिकैत का बड़ा बयान, सरकार ने जबरदस्ती हटाया तो मारे जा सकते हैं 10 हजार लोग
जब तक कानून वापस नहीं होंगे तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि वे किसानों के साथ बातचीत करने के बाद तय करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास जाएंगे या नहीं।
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 48वां दिन है। किसानों के इस शांत आंदोलन की ‘ताकत’ भी लगातार बढ़ती जा रही है। ठंड और बारिश की परवाह किए बिना हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से किसानों के जत्थे रसद के साथ लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं। इस बीच किसान आंदोलन से जुड़े याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है और एक कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगले आदेश तक कृषि कानूनों पर रोक लगाए जाने और कमेटी के गठन के आदेश के बाद किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बड़ा बयान दिया है। जब तक कानून वापस नहीं होंगे तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि वे किसानों के साथ बातचीत करने के बाद तय करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास जाएंगे या नहीं। किसान नेता टिकैत ने आगे कहा कि यदि सरकार ने जबरदस्ती किसानों को हटाने की कोशिश की तो इसमें दस हजार लोग मारे जा सकते हैं।
राकेश टिकैत ने कोर्ट के आदेश के बाद कहा, 'हम किसानों की कमेटी में इसकी चर्चा करेंगे। 15 जनवरी को होने वाली किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत में भी शामिल होंगे। जो कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की है, उसमें बाद में बताएंगे कि जाएंगे या नहीं, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा। जब तक बिल वापस नहीं होगा, तब तक घर वापसी नहीं होगी।'. राकेश टिकैत ने आगे कहा कि किसान यहां से अब कहीं नहीं जा रहा है। सरकार का आकलन है कि यहां हटाने पर एक हजार आदमी मारा जा सकता है। यह गलत आकलन है। यदि जबरन हटाने की कोशिश की गई तो यहां 10 हजार आदमी मारा जा सकता है। टिकैत ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट के आदेश से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। आंदोलन लंबा चलेगा। कोर्ट की तरफ से जारी समिति के नाम में सरकार से बातचीत कर रहे 40 संगठनों में से कोई भी नाम नहीं हैं।”
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले में मंगलवार को भी सभी पक्षों को सुनने के बाद इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि वह इस बारे में आदेश पारित करेगी। कोर्ट द्वारा गठित की जाने वाले समिति इन कानूनों को लेकर किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार करेगी।