राफेल डील का जिन्न फिर निकला बाहर, CAG ने एमबीडीए पर उठाए सवाल

बुधवार को संसद में पेश रिपोर्ट में राफेल समेत नेवी के कुछ अन्य सौदों पर सवाल किया गया है. राफेल को लेकर CAG की ये रिपोर्ट तब आई है, जब कुछ दिन पहले ही राफेल को वायुसेना में शामिल किया गया है.

राफेल डील का जिन्न  फिर निकला बाहर,  CAG ने एमबीडीए पर उठाए सवाल

लोकसभा चुनाव के वक़्त बवाल मचाए राफेल डील का मुद्दा अब एक बार बाहर आ गया है. कैग की ओर से संसद में पेश की गई रिपोर्ट में डील की कई कमियों को उजागर किया गया है. विमान राफेल पर नियंत्रक और लेखा परीक्षक (कैग) ने संसद में अपनी रिपोर्ट रखी है। इसमें 36 राफेल की खरीद पर कहा गया है कि फ्रांस की युद्धक विमान निर्माता कंपनी दासौ एविएशन और यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए ने अभी तक करार के तहत दी जाने वाली तकनीक भारत को नहीं सौंपी है ।साथ ही इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 60 हजार करोड़ रुपये की इस डील में मुख्य बात टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की थी, जो कि 2015 में ही तय हो गया था. लेकिन दसॉल्ट एविएशन और MBDA ने इनमें से किसी भी बात को पूरा नहीं किया है. DRDO को कावेरी जेट इंजन बनाने के लिए इन टेक्नोलॉजी की जरूरत है.


बुधवार को संसद में पेश रिपोर्ट में राफेल समेत नेवी के कुछ अन्य सौदों पर सवाल किया गया है. राफेल को लेकर CAG की ये रिपोर्ट तब आई है, जब कुछ दिन पहले ही राफेल को वायुसेना में शामिल किया गया है. रिपोर्ट में भारत की ऑफसेट नीति की क्षमता पर भी सवाल उठाए गए हैं। कैग का कहना है कि उसने अभी तक एक भी मामला ऐसा नहीं देखा है जिसमें विदेशी कंपनी ने भारतीय उद्योग को उच्चस्तरीय तकनीक हस्तांतरित की हो। साथ ही यह भी कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के मामले में रक्षा क्षेत्र का स्थान कुल 63 क्षेत्रों में से 62वां है


आपको बता दें कि मनमोहन सरकार ने राफेल खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन मोदी सरकार आने के बाद भारत और फ्रांस के बीच गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट समझौता हुआ, जिसके तहत भारत को 2021 तक 36 राफेल विमान मिलने हैं. अबतक पांच राफेल विमान भारत पहुंच गए हैं, जबकि पांच और विमान इसी साल भारत पहुंचेंगे. वहीं कैग ने इंडियन रेलवे पर भी सवाल उठाए हैं. इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल में रेलवे बोर्ड के द्वारा नए प्रोजेक्ट पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण ये सभी लेट हो रहे हैं. ना तो जोन ने और ना ही केंद्रीय बोर्ड ने इनकी ओर ध्यान दिया. रेलवे की ओर से ऑपरेटिंग में ज्यादा खर्च किया जा रहा है इसी वजह से प्रोफिट नहीं दिख रहा है.