निजीकरण की नीति के विरोध में 26 नवंबर को होगा विरोध प्रदर्शन
केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में 26 नवंबर को विरोध प्रदर्शन होगा। देश भर के 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे
केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में 26 नवंबर को विरोध प्रदर्शन होगा। देश भर के 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि कोविड -19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं। जिससे देश भर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।
उन्होंने कहा कि 26 नवम्बर को देश भर में बिजली कर्मी विरोध सभाएं प्रदर्शन कर निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को निरस्त करने की मांग करेंगे। और निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लेंगे।
चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि बिजली कर्मी अपने विरोध में उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से सहयोग करने की अपील कर रहे हैं। जिन्हें निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान होने जा रहा है। इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी।
कर्मचारी नेता ने कहा कि वर्तमान में बिजली की लागत लगभग 07.90 रु प्रति यूनिट है और कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने का अधिकार होगा। जिससे 10 रु प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी।
उन्होंने बताया कि स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट के अनुसार निजी कंपनियों को डिस्कॉम की परिसंपत्तियां कौड़ियों के दाम सौंपी जानी है। इतना ही नहीं तो सरकार डिस्कॉम की सभी देनदारियों व घाटे को खुद अपने ऊपर ले लेगी और निजी कंपनियों को क्लीन स्लेट डिस्कॉम दी जाएगी। नई नीति के अनुसार डिस्कॉम के 100 फीसदी शेयर बेंचे जाने है। और सरकार का निजीकरण के बाद कर्मचारियों के प्रति कोई दायित्व नहीं रहेगा। कर्मचारियों को निजी क्षेत्र के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा।
आगे बोलते हुए चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि कर्मचारियों की अन्य प्रमुख मांगों में बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल के केएसईबी लिमिटेड की तरह सभी प्रांतों में एसईबी लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाए। जिसमे उत्पादन, पारेषण और वितरण एक साथ हों, निजीकरण और फ्रेंचाइजी की सभी प्रक्रिया निरस्त की जाए और चल रहे निजीकरण व फ्रेंचाइजी को रद्द किया जाए, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए और तेलंगाना सरकार की तरह बिजली सेक्टर में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए।