राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के 'लव जिहाद' के बयान पर भड़के पूनिया और राजेंद्र राठौड़
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी बिना देरी किए सीएम गहलोत पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगा दिया.
राजस्थान में बीजेपी ने लव जिहाद पर कानून बनाने की मांग की तो सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि लव जिहाद भाजपा द्वारा राष्ट्र को विभाजित करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए निर्मित एक शब्द है. शादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, इस पर अंकुश लगाने के लिए एक कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है. लव जिहाद को लेकर अब राजस्थान में भी घमासान बढ़ता दिखाई दे रहा है. सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा. तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी बिना देरी किए सीएम गहलोत पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगा दिया.
शर्मनाक है यह बयान,भारत विश्व का पुरातन सनातन देश है जहाँ विवाह एक नैसर्गिक संस्कार है,लव जेहाद इस्लामिक आतंकवाद का घोषित एजेंडा है,विश्वास नहीं होता वोट बैंक की राजनीति के लिए आप इतना गिर जाओगे,कांग्रेस की दुर्दशा से विचलित होकर मानसिक संतुलन यूँ गड़बड़ होना स्वाभाविक ही है। https://t.co/F5MSOvR6yn
— Satish Poonia (@DrSatishPoonia) November 20, 2020
सीएम अशोक गहलोत के बयान पर राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि यह बयान शर्मनाक है. भारत विश्व का पुरातन सनातन देश है, जहां विवाह एक नैसर्गिक संस्कार है, , लव जिहाद इस्लामिक आतंकवाद का घोषित एजेंडा है, विश्वास नहीं होता वोट बैंक की राजनीति के लिए आप इतना गिर जाओगे, कांग्रेस की दुर्दशा से विचलित होकर मानसिक संतुलन यूँ गड़बड़ होना स्वाभाविक ही है.
CM @ashokgehlot51 जी
— Rajendra Rathore (@Rajendra4BJP) November 20, 2020
इतिहास साक्षी है कि कांग्रेस ने हमेशा तुष्टीकरण व भेदभाव की नीति अपनाई है इसी कारण हाशिए पर जा रही है। विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है लेकिन इसके लिए किसी युवती को बलपूर्वक, डरा-धमकाकर या अनुचित दबाव डालकर ''धर्म परिवर्तन'' करना क्या न्यायोचित है ?1/2
वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री जी इतिहास साक्षी है कि कांग्रेस ने हमेशा तुष्टीकरण व भेदभाव की नीति अपनाई है इसी कारण हाशिए पर जा रही है. विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है लेकिन इसके लिए किसी युवती को बलपूर्वक, डरा-धमकाकर या अनुचित दबाव डालकर ”धर्म परिवर्तन” करना क्या न्यायोचित है.
राठौड़ ने आगे कहा कि किसी युवती को शादी हेतु धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करना क्या व्यक्तिगत स्वतंत्रता को छीनने जैसा नहीं है ? अशोक जी, चूंकि कांग्रेस व्यक्तिगत स्वतंत्रता की आड़ में छल के इस कृत्य का समर्थन करना चाहती है, क्या यह उसके सांप्रदायिक एजेंडे का एक कुंद प्रदर्शन नहीं है.' प्रेम व विवाह के नाम पर जबरन धर्मांतरण की घटना होती है तो उसे कानून बनाकर रोका जाना चाहिए और ऐसे कृत्यों को अंजाम देने वाले गुनहगारों को सख्त सजा दी जानी चाहिए.