चीन बॉर्डर पर हालात सुधरते ही रास्ते पर आया पाकिस्तान, हॉटलाइन और फ्लैग मीटिंग से तलाशेंगे हल
भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के डायरेक्टर जनरल्स ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस के बीच हॉटलाइन पर बात हुई है. एक साझा बयान में कहा गया कि दोनों देशों ने सभी संधियों, समझौतों और संघर्ष विराम के नियमों का पालन करने पर सहमति जताई.
पूर्वी लद्दाख में चीन बॉर्डर पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी की जा रही है. वहां शांति बहाली के हालात बनते ही पाकिस्तान ने भी अपने तेवर बदल लिए हैं. भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के डायरेक्टर जनरल्स ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस के बीच हॉटलाइन पर बात हुई है. एक साझा बयान में कहा गया कि दोनों देशों ने सभी संधियों, समझौतों और संघर्ष विराम के नियमों का पालन करने पर सहमति जताई. यह सहमति 24-25 फरवरी की मध्य रात्रि से लागू हो गया. दोनों देशों के बीच इस बात पर भी सहमति बनी कि अगर कोई गलतफहमी होती है तो पहले से मौजूद हॉटलाइन कॉन्टैक्ट और बॉर्डर फ्लैग मीटिंग्स वाले सिस्टम का इस्तेमाल होगा.
साझा बयान में कहा गया कि दोनों DGMOs ने नियंत्रण रेखा और बाकी सभी सेक्टर्स पर हालात की समीक्षा की। यह बातचीत गर्मजोशी भरे माहौल में हुई, ऐसा बयान में कहा गया है। यह भी तय हुआ कि दोनों देश उन मुद्दों और चिंताओं पर ऐक्शन लेंगे जिनकी वजह से शांति भंग होती है और हिंसा होती है। यह बातचीत सीमाओं पर लगातार शांति बरकरार रखने की दिशा में उठाया गया एक कदम है।
भारत और चीन के बीच पिछले साल अप्रैल-मई से तनाव बरकरार था। पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं। उधर पाकिस्तान की तरफ से भी लगातार सीजफायर का उल्लंघन हो रहा था। ऐसे में इस बात की संभावना कई विशेषज्ञ जता रहे थे कि भारत को दोनों मोर्चों पर युद्ध का सामना करना पड़ सकता है। सेना इसके लिए तैयार थी। आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे, एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया साफ कह चुके थे कि भारत ऐसी किसी परिस्थिति से निपटने में पूरी तरह सक्षम है।
श्रीलंका दौरे पर पाक पीएम ने अलापा कश्मीर राग
वहीं इस वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दो दिवसीय श्रीलंका दौरे पर हैं. उन्होंने बुधवार को कहा है कि पाकिस्तान का भारत (India and Pakistan) के साथ केवल कश्मीर का ‘विवाद’ है और इसे बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है. श्रीलंका-पाकिस्तान व्यापार और निवेश सम्मेलन को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि उन्होंने 2018 में प्रधानमंत्री निर्वाचित होने पर भारत को शांति वार्ता आयोजित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ.