NHRC दिवस पर पीएम मोदी ने दिए कई बड़े बयान, कहा- मानवाधिकार को राजनीतिक चश्मे से देखना पहुंचाता है देश को नुकसान
उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकारों के नाम पर कुछ लोग देश की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं और हमें इसके प्रति सचेत रहने की जरूरत है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि आज़ादी के लिए हमारा आंदोलन और हमारा इतिहास मानवाधिकारों की प्रेरणा का तथा मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत है। उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकारों के नाम पर कुछ लोग देश की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं और हमें इसके प्रति सचेत रहने की जरूरत है। मोदी ने कहा कि जब गरीब लोगों को शौचालय, रसोई गैस जैसी बुनियादी जरूरतें मुहैया कराईं, इससे भी उनमें अधिकारों के बारे में जागरूकता उत्पन्न हुई। मानवाधिकार संरक्षण कानून, 1993 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ की गई थी। एनएचआरसी मानवाधिकारों के उल्लंघन का संज्ञान लेता है, जांच करता है और सार्वजनिक प्राधिकारों द्वारा पीड़ितों को दिए जाने के लिए मुआवजे की सिफारिश करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मानवाधिकारों को राजनीतिक लाभ-हानि की दृष्टि से देखना, इन अधिकारों के साथ-साथ लोकतंत्र को भी हानि पहुंचाता है। मानवाधिकारों के नाम पर कुछ लोग देश की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं, हमें इसके प्रति सचेत रहने की जरूरत है।' प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर अपने भाषण में सरकार के महिला समर्थक कदमों जैसे ‘तीन तलाक’ के खिलाफ कानून, 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश आदि का हवाला भी दिया।
मोदी ने कहा कि वैश्विक महामारी के ऐसे कठिन समय में भी भारत ने इस बात का प्रयास किया कि एक भी गरीब को भूखा नहीं रहना पड़े। दुनिया के बड़े-बड़े देश ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन आज भी भारत 80 करोड़ लागों को मुफ्त अनाज मुहैया करा रहा है।
मोदी ने कहा कि हम देखते हैं कि ऐसे ही सेलेक्टिव व्यवहार करते हुए कुछ लोग मानव अधिकारों के हनन के नाम पर देश की छवि को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं. ऐसे लोगों से देश को सतर्क रहना है। मोदी ने कहा कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है. इस तरह का सेलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।
पीएम ने कहा कि बेटियों की सुरक्षा से जुड़े अनेक कानूनी कदम बीते वर्षों में उठाए गए हैं. देश के 700 से अधिक जिलों में वन स्टॉप सेंटर चल रहे हैं. जहां एक ही जगह पर महिलाओं को मेडिकल सहायता, पुलिस सुरक्षा, कानूनी मदद और अस्थायी आश्रय दिया जाता है।