पीएम मोदी 18 दिसंबर को किसान सम्मेलनों को करेंगे संबोधित, हितैषी प्रावधानों से करायेंगे अवगत

 मध्य प्रदेश में 18 दिसंबर यानी कल होने वाले किसान सम्मेलनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे इसकी जानकारी सीएमओ मध्य प्रदेश ने ट्वीट कर दी है.

पीएम मोदी 18 दिसंबर को किसान सम्मेलनों को करेंगे संबोधित, हितैषी प्रावधानों से करायेंगे अवगत

देश में पिछले 22 दिनों से अलग-अलग बॉर्डर पर किसान हजारों की संख्या में जमे हुए हैं लेकिन अब तक सरकार के साथ गतिरोध जारी है। किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। इस बीच बड़ी खबर आ रही है।  मध्य प्रदेश में 18 दिसंबर यानी कल होने वाले किसान सम्मेलनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे इसकी जानकारी सीएमओ मध्य प्रदेश ने ट्वीट कर दी है. ट्वीट में बताया गया है कि कल पीएम मोदी दोपहर में दो बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किसान सम्मेलनों को संबोधित करेंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 18 दिसंबर को राज्य में हो रहे चार स्तरीय किसान कल्याण कार्यक्रम के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी. मालूम हो राज्य स्तरीय किसान महासम्मेलन रायसेन में होगा जिसमें मुख्यमंत्री श्री चौहान शामिल होंगे. सीएमओ मध्य प्रदेश ने ट्वीट कर बताया कि 18 दिसंबर को राज्य के 35.50 लाख किसानों के खातों में 1,600 करोड़ रुपये की राशि डालें जाएंगे। सीएमओ ने ट्वीट कर बताया, कुल राहत राशि के एक हिस्से को अभी भेजा जा रहा है, दूसरा हिस्सा भी जल्द ही भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहन ने बताया, इस साल फसलों का जो नुकसान हुआ है उसकी राहत राशि हम किसानों को देंगे।

गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी गुरुवार को ग्वालियर में रैली की. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को पूरे देश के किसानों का समर्थन मिल रहा है, लेकिन विपक्षी दलों ने पंजाब के किसानों को गुमराह करके भ्रमित कर दिया और वे आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में पंजाब के किसान संगठनों सहित देश के कई किसान संगठनों से हमारी बातचीत चल रही है और जल्दी ही इसका समाधान निकल आएगा.

आपको बता दें कि सितंबर, 2020 में बने इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के रूप में पेश कर रही है जो बिचौलियों को खत्म करेंगे और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की अनुमति देंगे लेकिन दूसरी ओर हजारों की संख्या में किसान इन्हें ‘काला कानून’ बताते हुए इनका विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि इससे मंडियां खत्म हो जाएंगी, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिपाटी समाप्त हो जाएगी और किसान कॉरपोरेट्स के हाथों मजबूर हो जाएगा।