राजस्थान की राजनीति में ओवैसी के आने की आहट, कांग्रेस और बीजेपी में खलबली
है.राजस्थान की राजनीति में नए प्लेयर के तौर पर असदुद्दीन ओवैसी एंट्री कर सकते है। प्रदेश के सियासी हलकों में इसे लेकर चर्चाएं तेज है।
बिहार चुनाव संपन्न के बाद अब असदुद्दीन ओवैसी राजस्थान की सियासत में कदम रख सकते हैं. इसे लेकर कांग्रेस से लेकर भाजपा में खलबली मची हुई है.राजस्थान की राजनीति में नए प्लेयर के तौर पर असदुद्दीन ओवैसी एंट्री कर सकते है। प्रदेश के सियासी हलकों में इसे लेकर चर्चाएं तेज है। हालांकि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने फिलहाल इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की है। लेकिन कांग्रेस में मची खलबली और बयानबाजी से यह माना जा रहा है कि जल्द ही ओवैसी बंगाल के बाद राजस्थान में भी अपनी पार्टी के अध्यक्ष की घोषणा कर सकते हैं। मुख्य सचेतक महेश जोशी ने तो ओवैसी को भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एजेंट करार दिया था और कहा था कि वह भाजपा के निर्देश पर चुनाव लड़ते हैं.
जानकारों की मानें, तो राजस्थान की राजनीति में ओवैसी की जमीन तैयार की जा रही है। लेकिन कांग्रेस- बीजेपी के दबदबे वाले राजस्थान में आखिर क्या वजह है कि अचानक ओवैसी के यहां आने की अटकलें तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि प्रदेश में एआईएमआईएम की जमीन तैयार करने के लिए सोशल मीडिया पर कैम्पेन भी चलाए जा रहे हैं. जिसमें कहा जा रहा है कि एआईएमआईएम को राजस्थान लाने की जरूरत है. एआईएमआईएम राजस्थान के नाम से भी कई सोशल मीडिया ग्रुप बनाए जा रहे हैं.
वहीं पिछले दिनों हुए 3 शहरों के छह नगर निगम चुनाव के बाद से मुस्लिम वोटर्स भी कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. दरअसल कांग्रेस ने छह में से चार नगर निगमों पर कब्ज़ा किया है. जिसमें एक बड़ा श्रेय मुस्लिम वोटर्स का रहा. क्योंकि अगर बात जयपुर हैरिटेज की करें तो यहां 21 कांग्रेस और 8 निर्दलीय मुस्लिम पार्षद की मदद से बोर्ड अन्य लेकिन मांग के बावजूद कांग्रेस ने मुस्लिम को मेयर नहीं बनाया.मुस्लिम संगठनों की ओर से मांग की जा रही थी कि जयपुर हैरिटेज में मुस्लिम मेयर बनाया जाए, लेकिन प्रदर्शन और लगातार मांग के बावजूद भी कांग्रेस ने किसी भी निगम में मुस्लिम मेयर को जगह नहीं दी। यहीं वजह है कि मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस संगठन से नाराज हो गया है।