कल राष्ट्रपति से मिल सकते हैं विपक्षी दल ,कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की करेंगे मांग

कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन और भारत बंद के बीच विपक्ष ने अब राष्ट्रपति के पास जाकर गुहार लगाने का फैसला किया है।

कल राष्ट्रपति से मिल सकते हैं विपक्षी दल ,कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की करेंगे मांग

केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानून को लेकर किसान लगातार विरोध कर रहे हैं. पंजाब और हरियाणा से नए कानून को लेकर शुरू हुआ विरोध को आज लगभग सभी विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिल गया है वहीं पंजाब के गायक, अभिनेता और खिलाड़ी भी खुलकर किसानों के साथ खड़े हुए हैं. 

कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन और भारत बंद के बीच विपक्ष ने अब राष्ट्रपति के पास जाकर गुहार लगाने का फैसला किया है। इनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार जैसे नेता शामिल होंगे। यह मुलाकात कल बुधवार शाम पांच बजे होनी है। सीपीआई (मार्क्सवादी) के नेता सीताराम येचुरी ने बताया कि कोवड-19 प्रोटोकॉल की वजह से केवल 5 नेताओं को राष्ट्रपति से मुलाकात की अनुमति दी गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद  राष्ट्रपति से मिलने से पहले सभी दल एक साथ मीटिंग करेंगे. इस मीटिंग में कानूनों को लेकर विपक्षी नेताओं का मत सुना जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस मुलाकात का हिस्सा हो सकते हैं.


अभी तक किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है जिसमें एक में भी गृहमंत्री शाह और प्रधानमंत्री मोदी शामिल नहीं हुए थे. हालांकि पीएम मोदी अपने विभिन्न मंचों से किसानों को नए कृषि कानून के प्रति विश्वास जगाने की कोशिश कर चुके हैं कि यह किसानोंकी आय को दुगुना करने वला कानून है.


भाजपा ने सोमवार को कहा था कि केंद्र की संप्रग सरकार में बतौर कृषि मंत्री पवार ने राज्यों को एपीएमसी कानून में संशोधन करने को कहा था और उन्हें आगाह भी किया था कि तीनों सुधार नहीं करने पर केंद्र की तरफ से वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी। राकांपा ने कहा था कि केंद्रीय कृषि मंत्री के तौर पर पवार ने राज्यों के कृषि विपणन बोर्डों के साथ व्यापक सहमति बनाने की कोशिश की और कानून को लागू करने के लिए उनसे सुझाव मांगे। राकांपा ने कहा था, ”एपीएमसी कानून के प्रारूप के अनुसार किसानों को होने वाले फायदे के बारे में उन्होंने कई राज्य सरकारों को अवगत कराया, जिसे लागू करने पर वे सहमत हुए।