अंडरवियर न उतारना रेप के आरोप से बचने का आधार नहीं, मेघालय HC का अहम फैसला
मेघालय हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी (Chief Justice Sanjib Banerjee) और जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह की डिविजन बेंच ने इस मामले में निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें आरोपी को दोषी ठहराया गया था.
मेघालय उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग से बलात्कार मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी भी लड़की के उपर यौन हमला करने के वक्त चाहे वह अंडरवियर पहनी हो या न पहनी हो, इसे रेप या बलात्कार ही माना जाएगा और यह भारतीय दंड संहित की धारा 375 (बी) (Section 375 (b) of the Indian Penal Code) के तहत अपराध माना जाएगा. होई कोर्ट ने 10 साल की नाबालिक के साथ रेप के मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. मेघालय हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी (Chief Justice Sanjib Banerjee) और जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह की डिविजन बेंच ने इस मामले में निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें आरोपी को दोषी ठहराया गया था.
यह घटना 23 सितंबर 2006 की थी. जज ने कहा कि एक सप्ताह बाद मेडिकल जांच के दौरान नाबालिग के प्राइवेट पार्ट में दर्द हुआ. इसलिए यह इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि नाबालिग के साथ स्पष्ट और सीधा यौन संबंध (penetrative sex) बनाए गए थे. इसमें आरोपी की इस दलील को महत्व नहीं दिया जाएगा कि उसने नाबालिग के प्राइवेट पार्ट से कपड़े नहीं उतारे.
31 अक्टूबर 2018 को निचली अदालत ने आरोपी को रेप का दोषी पाया था और उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और कोर्ट में यह दलील थी कि इसे बलात्कार नहीं माना जाए क्योंकि घटना के नाबालिक के अंडरवियर को निकाला नहीं गया था. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि उस समय उसने दर्द महसूस नहीं किया था और इसके चाहे जो भी कारण हो लेकिन 1 अक्टूबर 2006 को मेडिकल जांच के दौरान उसे दर्द हुआ. इस आधार पर आरोपी के खिलाफ आरोप सिद्ध होने के पर्याप्त सबूत है.