Monsoon Session: समय से पहले ही मानसून सत्र समाप्त, राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
राज्यसभा का ‘ऐतिहासिक’ मानसून सत्र बुधवार को अपने निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया।
गृह राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने बुधवार सुबह ही इस बात की सूचना दे दी थी कि सरकार ने कोरोना महामारी के कारण निर्धारित समय से एक सप्ताह पहले ही सदन की कार्यवाही को स्थगित करने का फ़ैसला लिया है.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने सत्र को स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि यह सत्र ऐतिहासिक रहा क्योंकि इस दौरान उच्च सदन के सदस्यों को बैठने की नयी व्यवस्था के तहत पांच अन्य स्थानों पर बैठाया गया। उच्च सदन के इतिहास में ऐसा पहले नहीं हुआ। बुधवार को स्थगन से पहले भी विपक्षी दल के सांसदों की ग़ैर-मौजूदगी में राज्यसभा में श्रम सुधार से जुड़े तीन विधेयक ध्वनिमत से पास कर दिए गए. सभापति वेंकैया नायडू ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, "सदन के लिए 18 बैठकें निर्धारित की गई थीं लेकिन 10 ही हो सकी और इस छोटी अवधि के बावजूद सत्र के दौरान 25 विधेयकों को पारित किया।
सत्र के दौरान पारित किये गये विधेयकों में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक, महामारी संशोधन विधेयक, विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक, जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक शामिल हैं। इस सत्र के दौरान 104.47 प्रतिशत कामकाज हुआ। इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर व्यवधान के कारण जहां सदन के कामकाज में तीन घंटों का नुकसान हुआ, वहीं सदन ने तीन घंटे 26 मिनट अतिरिक्त बैठकर कामकाज किया। पिछले चार सत्रों के दौरान उच्च सदन में कामकाज का कुल प्रतिशत 96.13 फीसदी रहा है।
जावड़ेकर ने बिल के समर्थन में कहा, "मज़दूर जिस न्याय की प्रतीक्षा कर रहे थे वो अब मिल रहा है. वेतन सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा तीनों की गारंटी देने वाला ये बिल है .प्रवासी मज़ूदरों के बारे में जावड़ेकर ने कहा, "प्रवासी मज़दूर को साल में एक बार घर जाने के लिए प्रवास भत्ता मिलेगा. प्रवासी मज़दूरों को मालिकों द्वारा दिया जाएगा."
विपक्षी दल के सांसदों का विरोध प्रदर्शन जारी है. बुधवार को भी उन्होंने सदर की कार्यवाही का बायकॉट किया और संसद परिसर में गांधी मूर्ति से लेकर आंबेडकर मूर्ति तक मार्च किया. उनके हाथों में किसान बचाओ के प्लेकार्ड भी थे.