म्यांमार में सैन्य तख्तापलट; अमेरिका ने दी चेतावनी- आंग सान सू की को रिहा करे आर्मी

म्यांमार की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की, राष्ट्रपति और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिषठ नेताओं को हिरासत में लिया गया है

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट; अमेरिका ने दी चेतावनी- आंग सान सू की को रिहा करे आर्मी

भारत के पड़ोसी म्यांमार से राजनीतिक उलटफेर की खबर आ रही है। म्यांमार की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की, राष्ट्रपति और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिषठ नेताओं को हिरासत में लिया गया है और बताया जा रहा है कि सेना तख्तापलट कर दिया है। म्यांमार मिलिट्री टेलीविजन के मुताबिक सेना ने एक साल के लिए देश को अपने नियंत्रण में ले लिया है। बताया जा रहा है कि ये कदम सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच बढ़ते तनाव के बाद उठाया गया है जो चुनाव के बाद भड़की हुई है।


सेना के कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्लाइंग ने. उन्होंने सत्ता पर अपना अधिकार जमा लिया है और कोई इस तख्तापलट का विरोध ना कर सके इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में सेना की तैनाती कर दी गई है.

म्यांमार में सेना द्वारा किए गए तख्तापलट के बाद दुनिया भर से प्रतिक्रिया आ रही हैं. अमेरिका ने भी म्यांमार मिलिट्री से सख्त जुबान में कहा है कि हिरासत में लिए गए लीडरों को तुरंत रिहा कर दिया जाए. अमेरिका ने कहा है कि आंग सान सू की को तुरंत रिहा कर दिया जाए अन्यथा अमेरिका की तरफ से प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहें. आपको बता दें कि सोमवार की सुबह-सुबह म्यांमार में आर्मी द्वारा तख्तापलट कर दिया गया और सत्तारुढ़ पार्टी की नेता आंग सान सू की और म्यांमार के राष्ट्रपति को हिरासत में ले लिया गया. 

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी (Jen Psaki) ने म्यांमार में हुए तख्तापलट पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि 'अमेरिका म्यांमार में हुए लोकतान्त्रिक चुनावों के परिणामों को बदलने या लोकतान्त्रिक ढाँचे को बदलने के किसी भी प्रकार के प्रयास का विरोध करता है. अगर ये प्रयास वापस नहीं लिया गया तो जो भी लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं वे कार्रवाई के लिए तैयार रहें.'

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने आगे कहा, 'आग्रह किया जाता है कि सेना और बाकी दूसरी पार्टियां लोकतान्त्रिक नियमों और कानून का सम्मान करें, और आज ही हिरासत में लिए गए लीडरों को छोड़ दिया जाए.' 


दरअसल म्यांमार में लंबे वक्त तक सेना का ही शासन रहा है. साल 1962 से लेकर साल 2011 तक देश में सैनिक शासन रहा है. साल 2010 में यहां चुनाव हुए थे और साल 2011 में लोकतांत्रिक सरकार बनी. लेकिन इसके बाद भी असली ताकत सेना के पास ही रही. रविवार 31 जनवरी 2021 को जो कुछ भी हुआ, उसे सैनिक शासन की वापसी माना जा रहा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक म्यांमार की राजधानी नेपीटाव (Naypyidaw) और मुख्य शहरों में सेना तैनात है, इंटरनेट बंद कर दिया गया है और टेलीफोन सेवाएं भी स्थगित कर दी गई हैं. दरअसल सेना ने चुनाव के नतीजों पर आपत्ति जताई थी. साथ ही वहां के सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के अध्यक्ष के खिलाफ शिकायत की थी. भारत ने भी म्यांमार के हालात पर चिंता जाहिर की है.


पिछले साल के चुनाव के बाद म्यामांर के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे। हालांकि, सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी। सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था। लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गयी हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है।