MP ELECTION: उपचुनाव के पहले बीजेपी को लगा बड़ा झटका
मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होना है। इसके लिए दोनों दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं चुनाव आयोग ने भी साफ कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनावों के साथ ही एमपी के उपचुनाव करवाएं जाएंगे।
मध्य प्रदेश में उपचुनावों की तारीखों के ऐलान से पहले नेताओं के दल-बदलने का सिलसिला तेजी से जारी है। कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे के नेताओं-कार्यकर्ताओं को तोड़ने में जुटे हैं। बीते दिनों बीजेपी ने विधायक प्रद्युम्न लोधी को पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को झटका दिया था और अब कांग्रेस ने जैतपुर और बिजवार के कई बीजेपी पदाधिकारियों को पार्टी में शामिल कर बदला ले लिया है। बता दें कि इसकी जानकारी खुद एमपी कांग्रेस ने ट्वीटर के माध्यम से दी है।
कई बीजेपी पदाधिकारी कांग्रेस में शामिल हुए है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में छतरपुर जिले में कई बीजेपी पदाधिकारियों ने कांग्रेस का दामन थामा है। कयास लगाए जा रहे हैं आने वाले दिनों में और भी कई नेता दल बदल सकते हैं। हाल ही में ग्वालियर-चबंल में महासदस्यता अभियान चलाकर बीजेपी ने 76 हजार सदस्यों को जोड़ने का दावा किया था।
मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होना है। इसके लिए दोनों दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं चुनाव आयोग ने भी साफ कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनावों के साथ ही एमपी के उपचुनाव करवाएं जाएंगे। उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर में चुनाव करवाए जा सकते हैं वहीं सितंबर के आखिरी सप्ताह में आचार संहिता लग सकती है। यह चुनाव बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए नाक का सवाल बना हुआ है क्योंकि बीजेपी सरकार बचाने में जुटी है तो कांग्रेस वापसी की रणनीतियां बना रही है। ऐसे में चुनाव बेहद रोचक और कड़ी टक्कर होने वाले हैं।
सीएम हाउस में हुई मंत्रियों की बैठक के बाद अब प्रदेश बीजेपी कार्यालय में प्रदेश के सभी सांसद और विधायकों को बुलाया गया। बैठक में हाल ही में इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों को भी बुलाया गया है। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत अनेक नेता मौजूद रहे। चुनाव आयोग के रूख को देखते हुए बीजेपी सक्रिय हो गई है। बीजेपी की इलेक्शन मैनेजमेंट टीम उप चुनावों को लेकर पिछले तीन महीनों से होमवर्क कर रही है। इस टीम ने जातिगत और सामाजिक गणित के हिसाब से हर विधानसभा के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार की है।