ज्योतिरादित्य सिंधिया: जल्द शामिल हो सकते हैं मोदी कैबिनेट में....

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को जल्द ही मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है. संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के साथ उनकी मुलाकात ने इसकी चर्चा और तेज कर दी हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया: जल्द शामिल हो सकते हैं मोदी कैबिनेट में....

मध्य प्रदेश में  उपचुनाव को लेकर सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) शक्ति प्रदर्शन की शुरुआत कर चुके हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में बीजेपी ने तीन दिनों की सदस्यता अभियान चलाया। जिसमें बताया जा रहा है कि कांग्रेस  के हजारों कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हुए। वहीं संघ ने भी सिंधिया की चुनावी जंग को आसान बनाने के लिए प्रचारक-विस्तारक तैनात कर दिए है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को जल्द ही मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है. संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के साथ उनकी मुलाकात ने इसकी चर्चा और तेज कर दी हैं. भागवत और सिंधिया की मुलाकात के बाद मध्य प्रदेश में हाशिए पर चल रहे नेताओं की चिंता और बढ़ गई है. भागवत और सिंधिया की मुलाकात उनके बीजेपी में शामिल होने के करीब छह महीने बाद हुई है. सिंधिया और भागवत की मुलाकात के पीछे मराठी लॉबी काफी सक्रिय मानी जाती है.बीजेपी का दामन थामने के बाद से सिंधिया अकसर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही नजर आते रहे हैं।

सिंधिया के सियासी ग्राफ पर नजर रखने वाले इस घटनाक्रम में उनकी हिंदूवादी छवि और मराठी कनेक्शन की ओर संकेत करते हैं। दरअसल, जीवाजी राव सिंधिया ने ग्वालियर-चंबल संभाग में हिंदू महासभा की नींव को बेदह मजबूत किया था। वे अंचल के चुनाव में हिंदू महासभा के प्रत्याशी खड़ा किया करते थे। साल 1957 के लोकसभा चुनाव में जीवाजी राव सिंधिया ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ करवा दिया था। चारों सीटें हिंदू महासभा को मिली थी।फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने आरएसएस और जनसंघ को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी, उसी विरासत पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में उनके लिए संघ का आशीर्वाद जरूरी है।

इसके लिए सिंधिया ने पार्टी में मराठी लॉबी को महत्व देना शुरू किया है।बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार भोपाल स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचने पर उन्होंने पूर्व सांसद कृष्णमुरारी मोघे को अपने साथ मंच पर बैठाया। वहीं इंदौर पहुंचने पर करीब एक घंटे तक सुमित्रा महाजन से चर्चा की। जाहिर है कि महाजन को संघ का बेहद करीबी माना जाता है, दोनों नेता मराठी मूल के हैं।

बहरहाल इसमें कोई दो राय नहीं है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) एक कद्दावर नेता है और उनके परिवार का जनसंघ और बीजेपी को मजबूत बनाने में अहम योगदान रहा है