भारतीय नौसेना की अरब सागर में और बढ़ी ताकत, स्कॉर्पीन श्रेणी की 5वीं पनडुब्बी ‘वजीर’ हुई शामिल
अरब सागर में नौसेना की ताकत बढ़ना अपने आप में महत्वपूर्ण बात है क्योंकि यह समुद्री सीमा पाकिस्तान से मिलती है।
अरब सागर में भारत की ताकत अब और ज्यादा बढ़ गई है। इंडियन नेवी ने गुरुवार को स्कॉर्पीन क्लास की पांचवीं पनडुब्बी आईएनएस वजीर को लॉन्च कर दिया है। रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक की पत्नी विजया ने वीडियो कंफ्रेंस के जरिए इसे लॉन्च किया। यह भारत में बन रहीं छह कालवेरी श्रेणी की पनडुब्बियों का हिस्सा है। इस पनडुब्बी को फ्रांस की डिफेंस और एनर्जी कंपनी डीसीएनएस ने डिजाइन किया है। अरब सागर में नौसेना की ताकत बढ़ना अपने आप में महत्वपूर्ण बात है क्योंकि यह समुद्री सीमा पाकिस्तान से मिलती है। और भारतीय नौसेना की परियोजना-75 के तहत इनका निर्माण हो रहा है। अधिकारी ने बताया कि ये पनडुब्बियां सतह पर, पनडुब्बी रोधी युद्ध में कारगर होने के साथ खुफिया जानकारी जुटाने, समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और इलाके में निगरानी करने में भी सक्षम हैं।
इस पनडुब्बी का नाम हिंद महासागर की शिकारी मछली 'वजीर' के नाम पर रखा गया है। पहली 'वजीर' पनडुब्बी रूस से प्राप्त की गई थी जिसे भारतीय नौसेना में तीन दिसंबर 1973 को शामिल किया गया था और सात जून 2001 को तीन दशक की सेवा के बाद सेवामुक्त किया गया था। यह पनडुब्बी टॉरपीडो से हमला करने के साथ और ट्यूब से लांच की जाने वाली पोत रोधी मिसाइलों को पानी के अंदर और सतह से छोड़ सकती है। एमडीएल के मुताबिक, पानी के भीतर दुश्मन से छिपने की क्षमता इसकी विशेषता है जो पूरी तरह से सुरक्षित है और अन्य पनडुब्बियों के मुकाबले इनका कोई तोड़ नहीं है। एमडीएल ने कहा कि इस पनडुब्बी को नौसेना की सभी तरह की जरूरतों और अभियानों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
मझगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (एमडीएल) ने विज्ञाप्ति में कहा, ‘स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण एमडीएल के लिए चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यह आसान काम भी कम स्थान में पूरा करने की वजह से चुनौतीपूर्ण बन गया था।’ विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘रडार से बचने का गुण सुनिश्चित करने के लिए पनडुब्बी में आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है जैसे आधुनिक ध्वनि को सोखने वाली तकनीक, कम आवाज और पानी में तेज गति से चलने में सक्षम आकार आदि। इसमें दुश्मन पर सटीक निर्देशित हथियारों से हमले की भी क्षमता है।’