कांग्रेस : उन अध्यक्षों को हुई परेशानी, जो गाँधी परिवार से नहीं
गांधी परिवार का संगठन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दबदबा बना ही रहा.
टेलीग्राफ़ अख़बार के वरिष्ठ लेखक, संजय कुमार झा, जिन्होंने लंबे समय से कांग्रेस को कवर किया है! , ने ट्वीट किया कि कांग्रेस की एक प्रमुख सभा 'वीडियोकांफ्रेंसिंग' के माध्यम से अपनी आवश्यक आंतरिक सभा रखती है और इसकी रहस्यपूर्ण गतिविधियाँ 'तेजी से' चल रही हैं।
झा के ट्वीट में संकेत साफ हैं कि आंतरिक बैठकों की पल पल की जानकारी आम होती रहे तो वो संगठन और उसे चलाने वालों के बारे में बहुत कुछ कहती है.
सभी बातों पर विचार किया गया कि यह कैसे हो सकता है कि भारत के सबसे सम्मोहक वैचारिक समूह की परिस्थिति तब हुई जब वह न तो आत्मनिरीक्षण करने की स्थिति में है और न ही कोई ठोस विकल्प लेने की स्थिति में है। काफी समय से, कांग्रेस प्रशासन के विषय पर आंतरिक संघर्षों का प्रबंधन कर रही है।
जिस उद्देश्य से कांग्रेस का गठन किया गया था वो थी आज़ादी. आज़ादी की लड़ाई के दौरान कांग्रेस में अलग अलग विचारधारा के लोग साथ मिलकर काम कर रहे थे. इसमें वामपंथी, दक्षिणपंथियों के अलावा मध्यमार्गी भी शामिल थे.
जिस दल ने जवाहरलाल नेहरु, नरसिम्हा राव, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गाँधी जैसे करिश्माई नेता दिए हों, आज नेतृत्व के अभाव से जूझ रहा है, ये अपने आप में बहुत ही गंभीर स्थिति है उस पार्टी के लिए.
लेकिन कांग्रेस पर नज़र रखने वालों को ये भी लगता है कि शुरू से ही गांधी परिवार का संगठन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दबदबा बना ही रहा.