गुजरात हाईकोर्ट का बड़ा बयान, कहा- कोरोना के नए वेरिएंट पर वैक्सीन का भी नहीं दिख रहा असर, 2 डोज लेने पर भी हो रही मौत
गुजरात राज्य के मुख्य सचिव अनिल मुकीम, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव जयंती रवि और स्वास्थ्य सचिव जयप्रकाश शिवहरे सुनवाई में ऑनलाइन हिस्सा ले रहे हैं
गुजरात हाईकोर्ट में सोमवार को कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति को लेकर सुनवाई हो रही है। गुजरात सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी अपनी बात रख रहे हैं। यह सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव कारिया की बेंच कर रही है। गुजरात राज्य के मुख्य सचिव अनिल मुकीम, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव जयंती रवि और स्वास्थ्य सचिव जयप्रकाश शिवहरे सुनवाई में ऑनलाइन हिस्सा ले रहे हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य में अभी भी कई तहसील हैं, जहां टेस्ट ही नहीं हो रहे. टेस्ट जल्दी हों ऐसा कुछ करें। कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार कह रही है सब सही सलामत हैं लेकिन स्थिति भयावह है। चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरे पास निजी जानकारी है कि अस्पताल एडमिशन देने से इनकार कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि वैक्सीन के दो डोज लेने के बाद भी लोगों की मौत हो रही है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि ऑफिस में स्टाफ 50 फीसदी किया जाए। कर्फ्यू टाइम में छूट दी जा रही है। नाइट कर्फ्यू भी ठीक से अमल नहीं हो रहा है। हाईकोर्ट ने कहा है कि चुनाव के वक्त बूथ स्तर पर मैनेजमेंट किया जाता है, वैसे ही कोरोना की स्थिति में बूथ स्तर पर मैनेजमेंट नहीं किया जा सकता है क्या।
हाईकोर्ट ने सुझाव दिया है कि जो कोविड-19 एसओपी का पालन नहीं कर रहे हैं उन्हें कोविड-सेंटर में भेज दें। सरकार की नीति से नाराज हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि नीति में सुधार की जरूरत है। कोर्ट में एडवोकेट जनरल त्रिवेदी ने कहा कि रेमेडिसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता सामान्य स्थिति में नहीं होती। होम आइसोलेशन में रखे गए मरीज भी आग्रह कर रहे हैं। कोर्ट के आगे एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने कहा कि भारत में प्रतिदिन 175000 रेमेडिसिविर की आवश्यकता है. गुजरात सरकार 1 दिन में 30000 प्राप्त करती है।