सरकार ने निकाली गली: वसुंधरा फॉर्मूला के चलते पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को नहीं करना होगा बंगला खाली

राजस्थान में यूं तो बंगले को लेकर लंबी सियासत चली है. लेकिन कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार से बर्खास्त किए गए 3 पूर्व मंत्रियों के बंगले मामले में एक नया ट्विस्ट आ गया है.

सरकार ने निकाली गली: वसुंधरा फॉर्मूला के चलते पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को नहीं करना होगा बंगला खाली

जयपुर के सिविल लाइंस में तीन पूर्व मंत्रियों को बंगले खाली नहीं करने पड़ेंगे, जिन्हें गहलोत सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। सिविल लाइंस के ये बंगले सिर्फ मंत्रियों के लिए निर्धारित हैं। राजस्थान में यूं तो बंगले को लेकर लंबी सियासत चली है. लेकिन कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार से बर्खास्त किए गए 3 पूर्व मंत्रियों के बंगले मामले में एक नया ट्विस्ट आ गया है. ऐसे में अब तीनों नेताओं को सिविल लाइन स्थित बंगले को खाली नहीं करना पड़ेगा यानि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Bungalow 11), पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तरह ही बंगला खाली नहीं करवाया जाएगा.  पायलट समेत तीनों पूर्व मंत्रियों के बंगले बरकरार रखने का फैसला इसलिए किया जा रहा है, ताकि गहलोत सरकार किसी सियासी बवाल में नहीं फंसे।

असल में कांग्रेस के सत्ता में आने के साथ ही सचिन पायलट डिप्टी सीएम बनाए गए थे। उसी मंत्रिमंडल में विश्वेंद्र सिंह पर्यटन मंत्री और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रहे रमेश मीणा बनाए गए थे। जब पायलट के साथ ये दोनों मंत्री व अन्य विधायक नाराज होकर चले गए थे, उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीनों को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद से ही यह चर्चा उठने लगी थी कि 6 माह में तीनों के मंत्रियों के लिए निर्धारित बंगले खाली करने होंगे। तीनों में से एक ने भी अपनी मर्जी से बंगले खाली नहीं किए। सरकार इसे लेकर बेहद दुविधा में थी।

अब सरकार ने बंगला खाली करवाने की वही रणनीति अपनाई जो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बंगले को लेकर अपनाई गई थी. जीएडी ने इन नेताओं के आवास को सरकारी आवास से सामान्य विधानसभा के पूल में डाल दिया जाएगा. जिसके बाद नेताओं के मौजूदा आवास को ही विशिष्ट आवास की श्रेणी में आवंटन कर दिया जाएगा.