केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ गहलोत सरकार ने पेश किया कृषि संशोधन विधेयक, सोमवार तक के लिए सदन स्थगित

गहलोत सरकार ने केन्द्रीय कृषि कानून के खिलाफ विधानसभा में संशोधन विधेयक पेश कर दिया है। इन तीनों कानूनों पर लाए गए संशोधन विधेयक पर चर्चा सोमवार को होगी।

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ गहलोत सरकार  ने पेश किया कृषि संशोधन विधेयक,  सोमवार तक के लिए सदन स्थगित

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने केन्द्रीय कृषि कानून के खिलाफ विधानसभा में संशोधन विधेयक पेश कर दिया है। इन तीनों कानूनों पर लाए गए संशोधन विधेयक पर चर्चा सोमवार को होगी। जहां विपक्ष ने बिल को सदन में पेश करने के साथ ही जबरदस्त हंगामा किया, वहीं सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया है  कि किसानों के हितों को बाधित होने से रोकने के लिए राजस्थान सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। शोकाभिव्यक्ति के बाद सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है. वहीं सदन की कार्यवाही बेहद हंगामेदार रहने के आसार है. गुर्जर आंदोलन के चलते विपक्ष को हंगामा करने का एक और मौका मिल गया है.


सरकार ने कहा है कि वह राज्य के कृषकों, कृषि श्रमिकों तथा कृषि और उससे संबंधित क्रियाकलापों में लगे हुए अन्य समस्त व्यक्तियों के भी हितों और आजीविका की सुरक्षा और संरक्षण के लिए राजस्थान कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम 1961 के विनियामक ढांचे के माध्यम से राजस्थान राज्य के कृषकों के लिए रक्षापायों को पुनः स्थापित करने की दृष्टि से यह विधेयक लाई है। इनमें किसानों के हितों की रक्षा के लिए सख्‍त प्रावधान किया है. इसके मुताबिक, अगर किसान को उत्‍पीड़न किया जाता है तो इसके लिए दोषी को तीन साल से 7 साल की कैद और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना किया जा सकेगा.


केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पंजाब ने जिस तरह से कानून बदला है और उसी तर्ज पर जो राजस्थान सरकार करने जा रही है. वह गैरकानूनी है और इससे किसानों को बड़ा नुकसान होगा.


वहीं नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जब कानून बन चुका है तो राज्य सरकार द्वारा विधेयक लाने का कोई मतलब नहीं है. बीजेपी नेता और विधायक मदन दिलावर ने कहा, "कांग्रेस अपनी झेंप मिटाने के लिए केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक लाई है. यह सब राहुल गांधी के इशारे पर किया जा रहा है.