कोरोना काल का पहला छठ नहाय-खाय के साथ शुरु, भगवान सूर्य और छठ मैया की पूजा क्यों है महत्वपूर्ण...

छठ Puja  लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ बुधवार को नहाय-खाय  के साथ शुरू हो गया है। इसका समापन शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा।

कोरोना काल का पहला छठ नहाय-खाय के साथ शुरु, भगवान सूर्य और छठ मैया की पूजा क्यों है महत्वपूर्ण...

छठ पर्व पूर्वोत्तर के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में खास महत्व रखता है. इन क्षेत्रों के लोगों के लिए यह आस्था का सबसे बड़ा त्योहार है. बिहार में यह किसी राजकीय पर्व से कम नहीं है. जबकि कोलकाता, दिल्ली, मध्य प्रदेश और मुंबई जैसे महानगरों और इनके उपनगरों में भी प्रवासी बिहारी और उत्तर प्रदेश के लोग इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं. या यूं कहें कि जहां भी बिहार, यूपी के लोग रहते हैं, वह इस पर्व को जरूर मनाते हैं. छठ Puja  लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ बुधवार को नहाय-खाय  के साथ शुरू हो गया है। इसका समापन शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ होगा। इसके पहले गुरुवार को खरना  व्रत होगा तथा शुक्रवार को भगवान भास्‍कर को सायंकालीन अर्घ्‍य दिया जाएगा। छठ व्रत को लेकर बिहार के नदी घाटों पर सुरक्षा व कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं।

क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है सूर्य पूजन?

सूर्य को ग्रंथों में प्रत्यक्ष देवता यानी ऐसा भगवान माना है जिसे हम खुद देख सकते हैं। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और इसकी किरणों से विटामिन डी जैसे तत्व शरीर को मिलते हैं। दूसरा, सूर्य मौसम चक्र को चलाने वाला ग्रह है। ज्योतिष के नजरिए से देखा जाए तो सूर्य आत्मा का ग्रह माना गया है। सूर्य पूजा आत्मविश्वास जगाने के लिए की जाती है।

पुराणों के नजरिए से देखें तो सूर्य को पंचदेवों में से एक माना गया है, ये पंच देव हैं ब्रह्मा, विष्णु, शिव, दुर्गा और सूर्य। किसी भी शुभ काम की शुरुआत में सूर्य की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है। शादी करते समय भी सूर्य की स्थिति खासतौर पर देखी जाती है। भविष्य पुराण से ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्य पूजा का महत्व बताया है। बिहार में मान्यता प्रचलित है कि पुराने समय में सीता, कुंती और द्रोपदी ने भी ये व्रत किया था।

साल में दो बार होता है छठ पर्व

छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में. चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिक छठ कहा जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा मान्यता कार्तिक छठ की है. लोग इसे ही सबसे ज्यादा पूजते हैं. 

नहाय-खाय के लिए घाटों पर रहे श्रद्धालु

चार दिवसीय छठ व्रत का आज पहला दिन है। इस दिन व्रती अरवा चावल, दूध और गुड़ से बने खीर का प्रसाद बना कर सूर्य देव को अर्पित करते हैं। व्रती व अन्‍य श्रद्धालु गंगा जल या आपपास के अन्‍य नदियों के जल से स्‍नान करते हैं, फिर वहां से जल लाकर प्रसाद बनाते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण नदी घाटों पर पहले वाली भीड़ तो नहीं दिख रही, लेकिन व्रतियों का आना जारी है। पटना की बात करें तो गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है।