Farmers Protest: पांचवें दौर की बातचीत भी हुई विफल, 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा की
नए कृषि कानूनों के मद्देनजर सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही,
नए कृषि कानूनों के मद्देनजर सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही, जहां किसान संगठनों के नेता नये कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग पर अड़े रहे और इस मुद्दे पर सरकार से ‘हां’ या ‘नहीं’ में जवाब की मांग करते हुए ‘मौन व्रत’ पर चले गए। केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए नौ दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। इस बीच किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद की घोषणा की है। तीन केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चार घंटे से अधिक देर तक चली बातचीत के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे के समाधान के लिए अंतिम प्रस्ताव पेश करने के वास्ते आंतरिक चर्चा के लिए और समय मांगा है।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों से हजारों किसान तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों ने एनएचच24 को अवरुध कर दिया है। जो दिल्ली को मेरठ से जोड़ता है। किसान केवल आपातकालीन वाहनों को यहां से जाने की अनुमति देते हैं। उत्तर प्रदेश और हरियाणा से लगती दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। इससे राष्ट्रीय राजधानी की ओर आने वाले अहम मार्गों पर लंबा यातायात जाम लग गया।सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही।
भारत बंद को टीआरएस का समर्थन
टीआरएस ने ट्वीट करते हुए कहा- “केसीआर का मानना है कि लड़ाई को तब तक जारी रखने की जरूरत है जब तक कि नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता. भारत बंद की सफलता के लिए टीआरएस पार्टी काम करेगी। लोगों से बंद को सफल बनाने और किसानों के लिए खड़े होने का अनुरोध किया.”
आरजेडी, टीएमसी और लेफ्ट का भी समर्थन
किसानों को भारत बंद को राष्ट्रीय जनता दल, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के साथ ही 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों का समर्थन मिला है. इन सभी ने किसानों की तरफ से बुलाए गए देशव्यापी बंद के समर्थन का ऐलान किया है.