कांग्रेस से गांधी परिवार को हटा भी दिया जाए तो हालात नहीं बदलेंगे- जानें क्या-क्या बोले गुलाम नबी आजाद
संसद में जिस तरह पीएम मोदी उनकी तारीफ करते हुए भावुक हो गए और फिर आजाद की आंखें भी नम हो गईं, दोनों के रिश्तों को लेकर काफी बातें हो रही हैं।
राज्यसभा से रिटायर हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) इन दिनों चर्चा में है। संसद में जिस तरह पीएम मोदी उनकी तारीफ करते हुए भावुक हो गए और फिर आजाद की आंखें भी नम हो गईं, दोनों के रिश्तों को लेकर काफी बातें हो रही हैं। गुलाम नबी आजाद ने एक टीवी इंटरव्यू में बताया है कि पीएम मोदी के साथ उनका नाता कितना पुराना रहा है। हालांकि, आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने यह भी कहा कि वह पक्के कांग्रेसी हैं मरते दम तक कांग्रेस में रहेंगे। उन्होंने कांग्रेस के संगठन को भी कमजोर बताया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि लगातार दो बार उनकी पार्टी को विपक्ष के नेता लायक भी चुनाव में सफलता नहीं मिली। हार के लिए कौन जिम्मेदार? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कमजोर संगठन जिम्मेदार और हर नेता जिम्मेदार है। संगठन को हर स्तर पर मजबूत करने पर जोर देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार को अलग नहीं किया जा सकता है और यदि गांधी परिवार को हटा भी दिया जाए तो इससे हालात नहीं बदलेंगे, हर स्तर पर काम करना होगा। हर लेवल पर हमें पार्टी को मजबूत करना होगा, यह केवल चुनाव के जरिए ही हो सकता है।
ज्यसभा में उनके और पीएम मोदी के भावुक होने को लेकर उस आतंकी घटना के बारे में बताया जिसमें गुजरात के पर्यटक मारे गए थे। क्या पीएम मोदी की ओर से तारीफ किए जाने से उन्हें पार्टी में नुकसान होगा? इसके जवाब में आजाद ने कहा, ''मैं उसकी परवाह नहीं करता। यह बहुत भावुक चीज है।'' यह पूछे जाने पर कि पार्टी में कुछ लोगों को तो यह खटका होगा? आजाद ने कहा, ''छोटे लोग हैं तो मैं क्या करूं? मैंने देखा है कि इंदिरा जी अटल जी की तारीफ करती थीं और अटल जी इंदिरा गांधी की तारीफ करते थे। संजय गांधी ने अटल के खिलाफ बोला और अटल जी ने संजय के लिए अच्छी बातें कहीं। मैं इस तरह के नेताओं को मिस करता हूं।''
संगठन चुनाव को लेकर पार्टी नेतृत्व को खत लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल गुलाम नबी आजाद से जब इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने इशारों में कहा कि अकेले भी लेटर लिखा था और फिर सोनिया गांधी से फोन पर बात भी हुई थी। आजाद ने आगे कहा, ''जिन लोगों ने कांग्रेस का इतिहास नहीं पढ़ा उन्हें विद्रोह लगता है। नरसिम्हा राव जी को कई खत लिखे थे। मैंने उनसे कहा था कि आप सबसे अच्छे प्रधानमंत्रियों में से एक हो सकते हैं, लेकिन आप कांग्रेस पार्टी के सबसे खराब अध्यक्ष हैं। आपकी पार्टी में कोई दिलचस्पी नहीं है, फिर भी आप वहां रहना चाहते हैं और आप चार साल से टरकाते आ रहे हैं, अब आपको इस्तीफा देना चाहिए। फिर मैंने सीताराम केसरी के नाम का आगे किया। उस समय बुरा नहीं माना जाता था, मेरे ऐसा कहने के बाद भी वह मुझे मंत्रालय पर मंत्रालय देते रहते थे। हमारी लड़ाई सिद्धांत और कांग्रेस को सतर्क करने की लड़ाई थी, व्यक्तिगत नहीं।''