IPCC की ताजा रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, 2 डिग्री तक बढ़ जाएगा धरती का तापमान, जीवत रहना होगा मुश्किल
आईपीसीसी ने अपनी छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) का पहला भाग, पृथ्वी की जलवायु की स्थिति का ताजा मूल्यांकन, परिवर्तन और ग्रह पर इनका प्रभाव और जीवन रूपों को जारी किया है

ग्लोबल वॉर्मिंग से आसन्न खतरे की याद दिलाते हुए इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में चेताया है कि वर्ष 2100 तक धरती के औसत तापमान में पूर्व औद्योगिक काल के मुकाबले 2 डिग्री से ज्यादा का इजाफा हो सकता है। अन्यथा बड़े पैमाने पर ग्रीन हाउस गैसों (Green House Emission) का उत्सर्जन तत्काल कम किया जाए। आईपीसीसी ने अपनी छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) का पहला भाग, पृथ्वी की जलवायु की स्थिति का ताजा मूल्यांकन, परिवर्तन और ग्रह पर इनका प्रभाव और जीवन रूपों को जारी किया है। पृथ्वी की जलवायु की स्थिति पर यह रिपोर्ट व्यापक रूप से स्वीकृत वैज्ञानिक राय है।
आकलन रिपोर्ट का पहला भाग क्लाइमेट चेंज को लेकर अपनी दलीलों के पक्ष में वैज्ञानिक साक्ष्य सामने रखता है और 1850 से 1900 के बीच वैश्विक तापमान पूर्व इंडस्ट्रियल टाइम के मुकाबले पहले से 1.1 डिग्री बढ़ चुका है। साथ ही रिपोर्ट में आईपीसीसी ने चेताया है कि 2040 तक वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री का और इजाफा हो सकता है।
क्लाइमेट चेंज से मुकाबले के लिए 2015 में हुए पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान में इजाफे को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है। खासतौर पर 1.5 डिग्री के भीतर ही रखना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के तापमान में 2 डिग्री से ज्यादा का इजाफा पृथ्वी की जलवायु को हमेशा के लिए बदल देगा और इंसान तथा अन्य प्राणियों के लिए खुद को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में बड़े पैमाने पर कटौती भी जाए तब भी धरती के तापमान में इजाफा 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर 1.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। हालांकि बाद में यह 1.5 डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस या 2 डिग्री सेल्सियस तक की सीमा में रोक पाना मुमकिन नहीं होगा, अगर तत्काल, बड़े पैमाने पर ग्रीन हाउस गैसों में कटौती नहीं की जाती है।