कांग्रेस में अंतर्कलह : जितिन प्रसाद के बचाव में आए सिब्बल
यूपी के लखीमपुर खीरी में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को लेकर भी जमकर बवाल हुआ है. मौजूदा राज्यसभा सदस्य राजबब्बर पर भी कार्यकर्ताओं और नेताओं में रोष है.
CWC की बैठक के बाद कांग्रेस के नेताओं में उहापोह की स्थिति चल रही है. बैठक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने वाले 23 नेताओं पर बीजेपी से मिले होने के आरोप लगने के बाद इन सभी नेताओं की नाराजगी अब सावर्जनिक तौर पर दिखाई देने लगी है. इन नेताओं ने इस संबंध में दिए बयानों से यूटर्न तो ले लिया लेकिन अभी तक अपनी कुंठा दबा नहीं पाए हैं. कांग्रेस भी लगातार डैमेज कंट्रोल में जुटी है और इसी के चलते सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने गुलाब नबी आजाद से फोन पर बात कर उन्हें समझाया है कि जैसा वे सोच रहे हैं, वैसा कुछ नहीं है और पार्टी में उनका सम्मान बरकरार है.
यूपी के लखीमपुर खीरी में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को लेकर भी जमकर बवाल हुआ है. मौजूदा राज्यसभा सदस्य राजबब्बर पर भी कार्यकर्ताओं और नेताओं में रोष है. ये दोनों पत्र लिखने वाले उन 23 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने ‘पूर्णकालिक और दूरदर्शी नेतृत्व’ की मांग की थी. लखीमपुर खीरी जिला कांग्रेस कमेटी ने जितिन प्रसाद पर न सिर्फ पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया बल्कि उन्हें पार्टी से निकालने के लिए आला अधिकारियों को पत्र भी लिखा है.
जितिन प्रसाद को लेकर बुलाई गई बैठक में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जिला और नगर अध्यक्ष की मौजूदगी में जमकर मुर्दाबाद के नारे लगाए. इस पर फिर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपनी नाराजगी ट्वीटर पर जाहिर करते हुए लिखा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी में जितिन प्रसाद को आधिकारिक तौर पर निशाना बनाया जा रहा है.
Unfortunate that Jitin Prasada is being officially targeted in UP
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 27, 2020
Congress needs to target the BJP with surgical strikes instead wasting its energy by targeting its own
केवल पूर्णकालीन अध्यक्ष की मांग करने पर वरिष्ठ नेताओं को उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में कुछ नेता लगातार सोशल मीडिया के जरिए ही अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं. इनमें पहला नाम है सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल का है जो ट्विटर पर लगातार अपने मन की बात शेयर कर रहे हैं. बुधवार को भी उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘सिद्धांतों के लिए लड़ते समय… जीवन में, राजनीति में, अदालत में, सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर…विपक्ष तो मिल ही जाता है, लेकिन समर्थन का इंतजाम करना पड़ता है.’ मतलब साफ है कि वे कांग्रेस की ओर इशारा कर रहे हैं.
When fighting for principles
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 26, 2020
In life
In politics
In law
Amongst social activists
On social media platforms
Opposition is often voluntary
Support is often managed
सूत्रों के अनुसार, मल्लिकार्जुन खड़गे और अंबिका सोनी ने इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की जबकि अधीर रंजन चौधरी ने बैठक में ही कहा कि ‘दूषित इरादे’ वाले लोगों को बोलने नहीं दिया जाए हालांकि सोनिया गांधी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. सोनिया गांधी भलीभांति अपने सहयोगियों को समझती हैं और पत्र लिखने की आवश्यकता को भी अच्छी तरह जानती हैं. ऐसे में किसी अनहोनी की आशंका को भांपते हुए डैमेज कंट्रोल में जुट गई है.