किसान आंदोलन से रोज हो रहा 3500 करोड़ रुपये का नुकसान, उद्योग संघ ने जल्द गतिरोध खत्म करने की अपील की
देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) ने सरकार और किसान संगठनों से किसानों के मुद्दों का शीघ्र समाधान करने का अनुरोध किया है।
पिछले कई दिनों से तीन नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसान नेताओं के बीच अभी तक इस विवाद का हल नहीं निकल सका है, जिसके चलते गतिरोध अभी तक बना हुआ है। देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) ने सरकार और किसान संगठनों से किसानों के मुद्दों का शीघ्र समाधान करने का अनुरोध किया है।
एसोचैम ने कहा कि किसानों के विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के चलते हर दिन 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन की वजह से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बडा नुकसान हुआ है। इन राज्यों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और बागबानी पर निर्भर है लिहाजा फूड प्रोसेसिंग, कपड़ा, ऑटोमोबाइल, फॉर्म मशीनर आदिक उद्योग काफी प्रभावित हो रहे हैं। पर्यटन, ट्रेडिंग, परिवहन जैसी सेवाएं भी आंदोलन की वजह से प्रभावित हो रही है।
इससे पहले भारतीय उद्योग परिसंघ (Assocham) ने सोमवार को कहा था कि किसान आंदोलन की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई। आगामी दिनों में अर्थव्यवस्था पर इसका असर दिखेगा। इससे अर्थव्यवस्था का पुररोद्धार भी प्रभावित हो सकता है। उद्योग मंडल के मोटे-मोटे अनुमान के अनुसार किसानों के आंदोलन की वजह से क्षेत्र की सप्लाई चेन और परिवहन प्रभावित हुआ है, जिससे रोजाना 3,000-3,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
एसोचैम के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, ”पंजाब, हरियाणा, हिमाचाल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्थाओं का सामूहिक आकार करीब 18 लाख करोड़ रुपये है. किसानों के विरोध-प्रदर्शन, सड़क, टोल प्लाजा और रेल सेवाएं बंद होने से आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं।”