पायलट के विरोध को कांग्रेस कर रही दरकिनार, कुचामन सिटी में कांग्रेस आजमा रही है हाईब्रिड फॉर्मूला

नगरपालिका एक्ट में बिना पार्षद का चुनाव जीते हुए व्यक्ति को निकाय प्रमुख बनाने का प्रावधान है, लेकिन यह साल 2019 में तब चर्चाओं में आया जब इसे हाईब्रिड फार्मूला नाम दिया गया.

पायलट के विरोध को कांग्रेस कर रही दरकिनार, कुचामन सिटी में कांग्रेस आजमा रही है हाईब्रिड फॉर्मूला

 राजस्थान में निकाय चुनाव के बाद चेयरमैन की दौड़ के लिए हार रोज दिलचस्प तस्वीर सामने आ रही है. कही पार्षद आपस में भीड़ रहे है तो कही एक ही परिवार के तीन-तीन सदस्यों ने अध्यक्ष पद के लिए दावा ठोक दिया है. कांग्रेस पहली बार नागौर जिले की कुचामन नगरपालिका में हाईब्रिड फॉर्मूले (Hybrid formula) से निकाय प्रमुख बनाने की तैयारी कर रही है. साल 2019 मं् जब गहलोत सरकार यह नया फॉर्मूला लेकर आई थी, तब तत्कालीन पीसीसी चीफ एवं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने इसका विरोध किया था. उस समय हाईब्रिड फॉर्मूले के विरोध में दिया गया सचिन पायलट का बयान काफी सुर्खियों में रहा था.

कांग्रेस अब पायलट के विरोध को साइडलाइन करते हुए कुचामन सिटी में प्रदेश का पहला हाईब्रीड फॉर्मूला लागू करने जा रही है. कांग्रेस ने यहां बिना पार्षद का चुनाव जीते आसिफ खान को निकाय प्रमुख बनाने निर्णय लिया है. कुचामन सिटी नगरपालिका नावां विधानसभा क्षेत्र के तहत आती है. वहां से उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी विधायक हैं और वे गहलोत खेमे के हैं.

अब इसे फॉर्मूले को लेकर सवाल भी उठने लगे है. पार्टी के संभाग प्रभारी हरिमोहन शर्मा का कहना है कि कानून से असहमति जताने का पायलट का अधिकार था जो उन्होंने किया. जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी को जीते हुए पार्षदों में से कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिला तो उन्होंने कहा कि आखिर बिना चुनाव जीते व्यक्ति को अयोग्य क्यों माना जा रहा है?

क्या है हाईब्रिड फॉर्मूला?

नगरपालिका एक्ट में बिना पार्षद का चुनाव जीते हुए व्यक्ति को निकाय प्रमुख बनाने का प्रावधान है, लेकिन यह साल 2019 में तब चर्चाओं में आया जब इसे हाईब्रिड फार्मूला नाम दिया गया. इसके तहत बिना पार्षद का चुनाव जीते हुए व्यक्ति को निकाय प्रमुख बनाया जा सकता है. हालांकि, उसे 6 महीने के अंदर चुनाव जीतना होता है.