मुख्यमंत्री योगी ने कानपुर शूटआउट में शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को सम्मानित किया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लखनऊ पुलिस लाइन में आयोजित पुलिस स्मृति दिवस-2020 में कानपुर शूटआउट में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सीओ देवेंद्र मिश्र समेत आठ पुलिसकर्मियों के परिवार वालों को सम्मानित किया

मुख्यमंत्री योगी ने कानपुर शूटआउट में शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को सम्मानित किया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लखनऊ पुलिस लाइन में आयोजित पुलिस स्मृति दिवस-2020 में कानपुर शूटआउट में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सीओ देवेंद्र मिश्र समेत आठ पुलिसकर्मियों के परिवार वालों को सम्मानित किया। इसके अलावा सुल्तानपुर में शहीद पुलिसकर्मी के परिवार को भी सम्मानित किया। 

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कोरोना संकटकाल में पुलिस की भूमिका की सराहना की। यह भी कहा कि कानपुर में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के आश्रितों को 50 लाख की जगह एक करोड़ रुपए दिए गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की अपराध और अपराधियों के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति है। इसके परिणाम स्वरूप विभिन्न जनपदों में दुर्दांत अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई के दौरान 20 मार्च 2017 से 5 अक्टूबर 2020 तक कुल 125 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए और 2,607 घायल हुए। 

लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर में महिला पुलिस के 3786 पदों का अलग से सृजन किया गया है। इस मौके पर सीएम ने कहा कि अपराध को रोकने के लिए पुलिस कार्रवाई कर रही है। अब तक 150 से अधिक शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए गए। 300 करोड़ से अधिक मूल्य की अवैध संपत्तियों को कब्जामुक्त कराया गया है।

कौन-कौन हुआ सम्मानित?

पुलिस लाइन में कोविड प्रोटोकाॅल का ध्यान रखते हुए शोक परेड की गई। इसके बाद बिकरु कांड में शहीद हुए सीओ देवेंद्र मिश्रा, सब इंस्पेक्टर अनूप कुमार सिंह, सब इंस्पेक्टर महेश कुमार यादव, सब इंस्पेक्टर नेबूलाल, सिपाही जितेंद्र कुमार पाल, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार और बबलू कुमार के परिवार वालों से सीएम ने मुलाकात की और उन्हें सम्मानित किया। सुल्तानपुर जिले में तैनात रहे हेड सिपाही जितेंद्र कुमार मौर्य के परिवार को भी सम्मानित किया गया। जितेंद्र कुमार की एक हमले में 3 अक्टूबर 2019 को शहादत हुई थी।

क्या था बिकरु कांड?

कानपुर के चौबेपुर थाना इलाके के बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। इस दौरान विकास और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों को गोलियों से भून दिया था। सरगना विकास 3 राज्यों की पुलिस को चकमा देकर यूपी से हरियाणा और फिर राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश पहुंच गया। सरेंडर के अंदाज में उज्जैन के महाकाल मंदिर से गुरुवार को विकास की गिरफ्तारी हुई। यूपी पुलिस उसे कानपुर ले जा रही थी, लेकिन रास्ते में विकास का वही अंजाम हुआ जिसके डर से वह भागता फिर रहा था। शुक्रवार सुबह कानपुर से 17 किमी पहले पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया।

इसलिए हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है पुलिस स्मृति दिवस

पुलिस स्मृति दिवस के महत्व के बारे में सीआरपीएफ की बहादुरी की एक कहानी है। 21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख में तीसरी बटालियन की एक कंपनी को भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में ‘हाट-स्प्रिंग‘ में तैनात किया गया था। कंपनी को टुकडिय़ों में बांटकर चौकसी करने को कहा गया। जब बल के 21 जवानों का गश्ती दल ‘हाट-स्प्रिंग‘ में गश्त कर रहा था। तभी चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते ने इस गश्ती टुकड़ी पर घात लगाकर आक्रमण कर दिया।

तब बल के मात्र 21 जवानों ने चीनी आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया। मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए 10 शूरवीर जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। बीते 61 साल से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के इन बहादुर जवानों के बलिदान को देश के सभी केंद्रीय पुलिस संगठनों व सभी राज्यों की सिविल पुलिस द्वारा ‘‘पुलिस स्मृति दिवस‘‘ के रूप में मनाया जाता है।