CM गहलोत बोले-फिर से सरकार गिराने का खेल शुरू होने वाला है, साजिशों का जिन्न फिर निकला बाहर, सियासी पारा चढ़ा
अशोक गहलोत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान में सरकार गिराने का फिर से खेल शुरू होने वाला है.
कांग्रेस नेता और सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि फिर से सरकार गिराने का खेल शुरू होने वाला है. अशोक गहलोत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान में सरकार गिराने का फिर से खेल शुरू होने वाला है. महाराष्ट्र में भी सरकार गिराने की चर्चाएं हैं. है. सीएम गहलोत के बयान पर भाजपा ने भी आक्रमक रुख अख्तियार किया है. हालांकि सियासी गलियारे में इस बयान के कई अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं.
सियासी गलियारे में चर्चा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक तीर से दो निशाना साधना चाहते हैं. गहलोत अपना पहले वाला फॉर्मूला अपनाते हुए भाजपा को बैकफुट पर लाना चाहते हैं. क्योंकि हाल ही में गुलाब चंद कटारिया समेत भाजपा के कई नेताओं ने सरकार के गिरने का दावा किया था. लिहाजा गहलोत किसी भी आशंका को छोड़ना नहीं चाहते हैं.
गहलोत ने कहा कि बीजेपी की तरफ से इससे पहले सरकार गिराने की कोशिश के गवाह कांग्रेस नेता अजय माकन रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन भी इस कार्यक्रम में जुड़े हुए थे. इस घटना के दौरान माकन 34 दिन होटल में हमारे विधायकों के साथ रहे थे.
सरकार से जुड़े विश्वस्त सूत्रों की माने तो इन दिनों भाजपा नेताओं ने सरकार को समर्थन दे रहे कुछ निर्दलीय विधायकों से संपर्क साधा था, जिसके बाद इन विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मामले से अवगत करवाया था। हालांकि जिन विधायकों से भाजपा के द्वारा संपर्क साधने की बात कही जा रही है, उनके नाम सामने नहीं आए।
वहीं सियासी गलियारों में इस बयान के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से पायलट गुट को निशाने पर ले रहे हैं. क्योंकि चर्चाएं है कि आगामी दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां हो सकती है. लिहाजा साफ है कि गहलोत पायलट गुट को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है. ऐसे में गुगली फेंक कर आलाकमान तक मेसेज पहुंचना चाहते हैं.
गौरतलब है कि जुलाई और अगस्त माह में 34 दिन तक सियासी शह और मात का खेल खेला गया था. जहां पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने 19 विधायकों के साथ मानेसर के एक होटल में थे. तो वहीं सीएम गहलोत ने भी अपने विधायकों की बाड़ाबंदी पहले जयपुर और फिर जैसलमेर में की थी. लेकिन 34 दिन बाद दोनों गुटों में समझौता हो गया था.