ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भाजपा को उपचुनाव से पहले लगा बड़ा झटका
सतीश सिंह सिकरवार सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल के बड़े नेता माने जाते हैं…लेकिन सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद वे बीजेपी से नाराज चल रहे थे
मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है.उपचुनाव होने में महज कुछ दिन बाकी है। ऐसे में चुनावी तैयारियों के बीच बीजेपी को एक और बड़ा झटका लगा है और ये झटका ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में लगा है।यहां से पार्टी के वरिष्ठ नेता और पिछला विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले सतीश सिंह सिकरवार ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली.
बता दें कि सतीश सिंह सिकरवार सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल के बड़े नेता माने जाते हैं…लेकिन सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद वे बीजेपी से नाराज चल रहे थे लेकिन कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद अब बीजेपी की अंदरूनी कलह बाहर आने लगी है। अंदरूनी कलह के बीच ग्वालियर-चंबल में बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके अलावा चर्चा है कि बीजेपी के कई और नाराज नेता कांग्रेस के संपर्क में है। हालांकि सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद से बीजेपी अपने पुराने नेताओं को मनाने जुटी है
आपको बता दें कि सतीश सिकरवार की पारिवारिक बैकग्राउंड बीजेपी की है।उनके पिता गजराज सिंह और भाई सत्यपाल सिंह भी बीजेपी से विधायक रह चुके हैं। लेकिन अब माना जा रहा कि जोड़तोड़ की नीति में बीजेपी फेल हो रही है।
ग्वालियर-चंबल में बीजेपी नाराज नेताओं पर पहले से नजर रख रही है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम खुद भी उस इलाके में कैंप कर रूठे लोगों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। उसके बावजूद भी असंतोष नहीं थम रहा है। वहीं, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि सतीश सिकरवार के जाने बीजेपी को कोई झटका नहीं लगा है।
कमलनाथ ने कहा कि अब कांग्रेस में महलों का दखल खत्म हो गया है।अब कांग्रेस में कोई महल नहीं है। आप सभी लोग आज कमलनाथ के घर मे आए हैं। आज आप कांग्रेस पार्टी के परिवार से जुड़ गए हैं। यहां जोड़ने की बात होती है, तोड़ने की नहीं, कांग्रेस सदैव जोड़ने की राजनीति करती है। बहरहाल मध्य प्रदेश की 27 सीटों में 16 सीटें जो ग्वालियर-चंबल में है उसमें बीजेपी और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला होने वाला है।