चमोली हादसे का एटमी कनेक्शन: 6 साल पहले अमेरिका के रखे प्लूटोनियम पैक की वजह से तो हादसा नहीं हुआ? उत्तराखंड सरकार चाहती है जांच हो

केंद्र सरकार से यह मांग भी की जाएगी कि वह उस रडार सिस्टम का भी पता लगाए, जो अमेरिका ने 56 साल पहले हिमालय की पहाड़ी में भेजा था।

चमोली हादसे का एटमी कनेक्शन: 6 साल पहले अमेरिका के रखे प्लूटोनियम पैक की वजह से तो हादसा नहीं हुआ? उत्तराखंड सरकार चाहती है जांच हो

उत्तराखंड सरकार चमोली में ग्लेशियर टूटने की वजह पता लगाने के लिए एक डिपार्टमेंट बनाने जा रही है । केंद्र सरकार से यह मांग भी की जाएगी कि वह उस रडार सिस्टम का भी पता लगाए, जो अमेरिका ने 56 साल पहले हिमालय की पहाड़ी में भेजा था। इसमें परमाणु ऊर्जा (प्लूटोनियम) से चलने वाला कैप्सूल था। इस रडार से चीन की निगरानी की जानी थी। यह बात राज्य के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को कही।

सतपाल महाराज ने यह भी कहा कि उनके मंत्रालय के अंतर्गत एक विभाग भी बनाया जाएगा जो ग्लेशियर्स की सैटेलाइट से निगरानी और अध्ययन करेगा। माना जा रहा है कि अगर ग्लेशियर प्लूटोनियम में हुए विस्फोट की वजह से टूटा है तो उत्तराखंड और खासतौर पर गंगा नदी में खतरनाक रेडिएशन भी फैल सकता है।

प्लूटोनियम पैक क्या है?

1964 में चीन ने परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद 1965 में अमेरिका ने भारत के साथ मिलकर चीन पर नजर रखने के लिए एक करार किया था। इसके तहत हिमालय में एक रडार लगाया जाना था। इसमें परमाणु ऊर्जा से चलने वाला जनरेटर लगा था। इस जनरेटर में प्लूटोनियम के कैप्सूल थे। लेकिन जब ये मशीनें पहाड़ पर ले जाई जा रही थीं, तभी मौसम खराब हो गया। टीम को लौटना पड़ा। मशीन वहीं छूट गईं। बाद में यह ग्लेशियर में कहीं खो गईं।

मशीनें खोने के बाद अमेरिका ने वहां दूसरा सिस्टम लगा दिया था। अब आशंका जताई जा रही है कि चमोली में ग्लेशियर कहीं इसी प्लूटोनियम की वजह से तो नहीं टूटा है। बताया जाता है कि प्लूटोनियम पैक की उम्र करीब 100 साल होती है।

 3-4 दिन रेस्क्यू ऑपरेशन होंगे बंद

 उत्तराखंड के चमोली आपदा (Chamoli Disaster) में लापता हुए लोगों की तलाश में लगातार 10वें दिन रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. लेकिन इस काम में लगी टीम की उम्मीदें भी अब टूटती नजर आ रही हैं. दरअसल NTPC की टनल और आसपास के इलाकों में क्षत-विक्षत शव ही निकल रहे हैं. उत्तराखंड के DGP अशोक कुमार ने कहा कि बचाव अभियान दिन-रात चल रहा है, लेकिन अब लोगों के जिंदा होने की आस नहीं है. ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन 3-4 दिन से ज्यादा नहीं चलेंगे. हालांकि, साफ-सफाई का काम जारी रहेगा.

अब तक 56 शव बरामद

आपको बता दें आपदा वाले इलाके से अब तक कुल 56 लोगों के शव को बरामद किया जा चुका है. इनके अलावा 22 क्षत-विक्षत मानव अंग भी मिले हैं. इनकी शिनाख्त DNA जांच से ही होगी. डीजीपी के कहा कि जैसे- जैसे शव बरामद हो रहे हैं उन्हें उनके परिजनों को सौंपा जा रहा है. अभी भी 148 लोग लापता हैं.