ट्रैक्टर रैली में बवाल पर बोले अशोक गहलोत , आंदोलन को असफल बनाने की कोशिश कर रही ताकतें

गहलोत ने ट्वीट किया,' किसान आंदोलन अभी तक शांतिपूर्ण रहा है। किसानों से अपील है कि शांति बनाए रखें और हिंसा ना करें। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।

ट्रैक्टर रैली में बवाल पर बोले अशोक गहलोत , आंदोलन को असफल बनाने की कोशिश कर रही ताकतें

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए मंगलवार को कहा कि अगर आंदोलन में हिंसा हुई तो वह इसे विफल करने की कोशिश कर रही ताकतों की सफलता होगी। गहलोत ने ट्वीट किया,' किसान आंदोलन अभी तक शांतिपूर्ण रहा है। किसानों से अपील है कि शांति बनाए रखें और हिंसा ना करें। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। यदि इस आंदोलन में हिंसा हुई तो यह किसान आंदोलन को असफल बनाने की कोशिश कर रही ताकतों के मंसूबों की कामयाबी होगी इसलिए हर हाल में शांति बनाए रखें।


मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों का लंबा आंदोलन देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है और देशहित में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन का मूल कारण केंद्र सरकार द्वारा पैदा किया गया अविश्वास है। गहलोत ने कहा,' किसान दो महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, देशहित में भी नहीं है क्योंकि किसान जो अन्नदाता कहलाता है देश में उसकी बात सुनने के लिए कोई तैयार नहीं हो उनकी भावनाओं कोई भी समझ नहीं पा रहा जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।'

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा,' हम बार बार आरोप लगा रहे हैं कि इनका लोकतंत्र में विश्वास नहीं है, जो इस आंदोलन से साबित हो गया है।' गहलोत ने कहा कि ठंड में देश के अन्नदाताओं को सड़कों पर धरना देना पड़ा है. 150 लोगों को अब तक जान गंवानी पड़ी है. उन्होंने कहा कि कृषि कानून लाने से पहले ना विपक्ष से पूछा गया और ना ही किसान संगठनों से राय ली गई. गहलोत ने कहा कि अन्नदाताओं की बेइज्जती की गई. केंद्र सरकार अगर अहम और घमंड नहीं करती तो आज किसानों को ट्रैक्टर परेड निकालने की जरुरत नहीं पड़ती.  


मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान ट्रेक्टर रैली निकाल रहे हैं। देश में किसान को इस तरह बैठना पड़े तो मैं समझता हूं कि उचित नहीं है। मांगे हर वर्ग रखता है और कोई रास्ता निकल सकता है। लेकिन मैं समझता हूं कि कृषि कानून की प्रक्रिया ही गलत शुरू की गयी संसद में भी विपक्ष की बात सुनी नहीं गयी। इसे अगर प्रवर समिति को सौंप देते तो भी शायद यह नौबत नहीं आती।


मीडिया से मुखातिब होते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि डेमोक्रेसी के अंदर सरकारें फैसले नहीं बदलती हैं क्या? जनभावना देखकर फैसला बदलना किसी की अवमानना नहीं है बल्कि बड़प्पन दिखता है कि सरकार में हम हैं, अगर कोई कानून या फैसला विड्रा कर लिया, समाप्त कर दिया तो क्या बिगड़ने वाला है आपका. आगे किसानों से बात करके नया कानून ला सकते हो.