किसान आंदोलन के बीच सीएम गहलोत ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, अन्नदाता की सुनें सरकार
मुख्यमंत्री गहलोत ने किसान आंदोलन, कृषि कानूनों और राजस्थान सरकार की ओर से किए गए संशोधनों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है.
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर अब सियासत दिल्ली से लेकर राजस्थान तक तल्ख हो गई है. मुख्यमंत्री गहलोत ने किसान आंदोलन, कृषि कानूनों और राजस्थान सरकार की ओर से किए गए संशोधनों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है. गहलोत ने अपने पत्र में किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि 26 नवंबर को देश जब संविधान दिवस मना रहा था तभी देश के अन्नदाताओं पर लाठियां चलाई जा रही थीं और पानी की बौछारें की जा रही थीं। उन्होंने कहा, ‘‘किसान अपनी मांगों को रखने दिल्ली नहीं पहुंच सकें इसके लिये सड़कों को खोदा गया और अवरोधक भी लगाये गये। केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के हक को छीनने की कोशिश की जो न्यायोचित नहीं है।
गहलोत ने लिखा कि केंद्र सरकार द्वारा इन तीनों बिलों को किसानों और विशेषज्ञों से चर्चा किये बिना ही लाया गया. संसद में विपक्षी पार्टियों द्वारा इन बिलों को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग को भी सरकार ने नजरअंदाज किया. ‘इन कानूनों के लागू होने से किसान सिर्फ प्राइवेट प्लेयर्स पर निर्भर हो जाएगा. साथ ही, प्राइवेट मंडियों के बनने से दीर्घ काल से चली आ रहीं कृषि मंडियों का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा. इसके कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा.’
किसानों ने अपने खून पसीने से देश की धरती को सींचा है। केंद्र सरकार को उनकी मांगों को सुनकर तुरंत समाधान करना चाहिए।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुश्किल दौर में भी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दे रहे अन्नदाता को इस तरह का प्रतिफल नहीं देना चाहिये। मुख्यमंत्री ने मांग की है कि किसानों के हित और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिये प्रधानमंत्री मोदी इन कानूनों पर पुनर्विचार करें। उन्होंने राजस्थान सरकार द्वारा तीनों नए कृषि कानूनों और सिविल प्रक्रिया संहिता में किए गए संशोधनों के बारे में भी लिखा है. सीएम ने कहा, 'राज्य सरकार ने इन संशोधनों में किसानों के हित को सर्वोपरि रखा है और कृषि विपणन व्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया है. राजस्थान ने संविदा खेती में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान किया है. किसी विवाद की स्थिति में पूर्ववत मंडी समितियों और सिविल न्यायालयों के पास सुनवाई का अधिकार होगा, जो किसानों के लिए सुविधाजनक है.' सीएम ने कहा, 'मंडी प्रांगणों के बाहर होने वाली खरीद में भी व्यापारियों से मंडी शुल्क लिया जाएगा. संविदा खेती की शर्तों का उल्लंघन या किसानों को प्रताड़ित करने पर व्यापारियों और कंपनियों पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना और सात साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है,