कृषि कानून: किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा, अब अगली बातचीत 15 जनवरी को
किसान नेताओं और सरकार के बीच विज्ञान भवन में शुक्रवार को 9वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही. बातचीत अगली तारीख अब 15 जनवरी को तय हुई है.
तारीख पर तारीख और अब तारीख 15 जनवरी, 45 दिन तो हो चुके, सात दिन बाद फिर बैठक होगी यानि किसानों का आंदोलन पहुंच 52वें दिन तक, फिर बैठक होगी। किसान नेताओं और सरकार के बीच विज्ञान भवन में शुक्रवार को 9वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही. बातचीत अगली तारीख अब 15 जनवरी को तय हुई है. हालांकि, किसानों और सरकार के बीच गतिरोध अभी भी बरकरार है। राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठक में कोर्ट की तारीख का भी जिक्र किया गया है। बैठक में केन्द्र सरकार की ओर से कहा गया कि कानून वापस नहीं ले सकते क्योंकि काफी किसान इसके पक्ष में हैं। वहीं किसान नेता कानून रद्द करने की मांग को दोहराते रहे। किसान अपनी मांग पर जस के तस अड़े हुए हैं।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने क्या कहा
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार की तरफ से स्पष्ट किया कि कानूनों की वापसी के अतिरिक्त अगर यूनियन कुछ और प्रस्ताव दे तो अच्छा होगा। इस तरह की जिक्र के बाद किसानों की तरफ से किसी तरह का जवाब नहीं आया और दोनों पक्षों ने 15 जनवरी की तारीख मुकर्रर की है। किसान यूनियन की तरफ से प्रस्ताव आना चाहिए। बाबा लक्खा सिंह से संपर्क के बारे में उन्होंने कहा कि हमने किसी से संपर्क नहीं किया। जहां तक कृषि कानून की बात है तो बहुत से ऐसे पक्ष हैं जो समर्थन में भी हैं। लिहाजा सरकार को दोनों पक्षों को सुनना होगा।
9वें दौर की बातचीत से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रदर्शनकारी किसानों को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस नहीं ले सकते हैं। हां जरूरत पड़ी तो संशोधन जरूर किया जा सकता है। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों के साथ वार्ता से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, बैठक करीब एक घंटा चली। हालांकि इस दौरान किन मुद्दों पर बातचीत हुई, यह पता नहीं चल पाया है।
महासचिव, अखिल भारतीय किसान सभा ने सरकार के साथ मुलाकात के बाद कहा कि सरकार ने हमें कहा कि कोर्ट में चलो. हम ये नहीं कह रहे कि ये नए कृषि क़ानून गैर-क़ानूनी है. हम इसके खिलाफ हैं. इन्हें सरकार वापिस ले. हम कोर्ट में नहीं जाएंगे. हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.